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दो लोग चला रहे थे बवाना में 'मौत की फैक्ट्री', एक गिरफ्तार, 7 शवों की हुई पहचान

जानकारी ये भी सामने आ रही है कि फैक्ट्री में अवैध रूप से पटाखों की पैकेजिंग का काम होता था, जबकि लाइसेंस गुलाल बनाने का था.

फैक्ट्री मालिक मनोज जैन फैक्ट्री मालिक मनोज जैन
जावेद अख़्तर/चिराग गोठी/पुनीत शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 21 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 10:39 AM IST

दिल्ली में बवाना की एक पटाखा फैक्ट्री में शनिवार देर शाम आग लगने से हुए हादसे में 17 लोगों की मौत हो गई है. शनिवार देर शाम हुई इस घटना के बाद बीजेपी और आम आदमी पार्टी में आरोप-प्रत्यारोप के बीच सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इन मौतों का जिम्मेदार कौन है.

दिल्ली पुलिस का कहना है कि शुरुआती जानकारी के मुताबिक, इस फैक्ट्री को 2 लोग मिलकर चला रहे थे. जिनके नाम मनोज जैन और ललित गोयल हैं. इनमें से पुलिस ने मनोज जैन को गिरफ्तार कर लिया है जबकि दूसरे ललित गोयल की तलाश जारी है.

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हालांकि, पुलिस पूछताछ में मनोज जैन ने बताया है कि वह अकेले ही इस फैक्ट्री को चला रहा था. बताया जा रहा है कि इस फैक्ट्री में कोल्ड क्रेकर्स का काम होता था जो कि स्टेज शो आदि में काम आते हैं. बहरहाल, पुलिस अभी तफ्तीश कर रही है और हादसे की वजह का पता लगाने की कोशिश की जा रही है.

7 महिलाओं के शवों की हुई पहचान

अब तक 17 में से 7 महिलाओं के शवों की पहचान हो चुकी है, जिसमें बेबी देवी (40), अफसाना (35) पत्नी श्री मुख्तार खान, सोनम (23) पुत्री श्री बंतू, रीता (18) पुत्री श्री राजू, मदीना (55) पत्नी श्री नसरुद्दीन, रज्जो (65) पत्नी श्री सुरेश, धर्मादेवी (45) पत्नी श्री राजू के रूप में हुई है. 

मरने वाले 17 लोगों में से ज्यादातर अपने परिवार के इकलौते कमाने वाले थे और अपने परिवार का पेट पाल रहे थे. आग में मारी गई मदीना देवी अपने परिवार की अकेली कमाने वाली थी. बूढ़ी जरूर थीं, लेकिन इसके बावजूद परिवार को रोटी खिलाने का हौसला था और महज़ दो दिन पहले ही वह इस फैक्ट्री में काम करने आई थीं.

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जानकारी ये भी सामने आ रही है कि फैक्ट्री में अवैध रूप से पटाखों की पैकेजिंग का काम होता था, जबकि लाइसेंस गुलाल बनाने का था.

एमसीडी-दिल्ली सरकार में खींचतान

लाइसेंस देने को लेकर दिल्ली सरकार और एमसीडी आपस में एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. फैक्ट्री को फायर सेफ्टी का एनओसी भी नहीं मिला है.

लाइसेंस पर सवाल

अब सबसे बड़ा सवाल फैक्ट्री के लाइसेंस को लेकर है. सवाल ये भी है कि ये पटाखा फैक्ट्री कैसे चल रही थी और इसके लिए लाइसेंस एमसीडी ने दिया या दिल्ली सरकार ने? लाइसेंस देने के बाद किसी ने क्यों नहीं देखा कि फैक्ट्री में क्या चल रहा है. फायर सेफ्टी की एनओसी बगैर फैक्ट्री कैसे चल रही थी?

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