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केजरीवाल पर बीजेपी का बड़ा हमला, कहा- कॉमनवेल्थ घोटाले की तरह समोसे का खर्च

आरपी सिंह ने सवाल उठाया कि अकेले मुख्यमंत्री के दोनों दफ्तरों सचिवालय और कैंप आफिस जो उनके निवास पर है, का बिल 47 लाख रुपये के आसपास है. ऐसे में सीएम को बताना चाहिए कि आखिर उन्होंने कब-कब किस-किस के साथ मीटिंग की.

केजरीवाल के समोसे पर सियासत गर्माई केजरीवाल के समोसे पर सियासत गर्माई
केशव कुमार/कपिल शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 06 सितंबर 2016,
  • अपडेटेड 9:44 AM IST

आरटीआई के जरिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्रियों के दफ्तर में चाय नाश्ते पर हुए खर्च का ब्यौरा सामने आया, तो बीजेपी की तरफ से पहला सवाल दागा गया कि केजरीवाल के दफ्तर में समोसा किसने खाया?

बीजेपी के राष्ट्रीय मंत्री सरदार आरपी सिंह ने पूछा कि अरविंद केजरीवाल दिल्ली के सीएम जरूर हैं, लेकिन उनके पास कोई विभाग नहीं है. वो बिना विभाग के मुख्यमंत्री हैं. ऐसे में उन्हें बताना चाहिए कि बिना विभाग के ही उनके दफ्तर में इतने समोसे कौन खा गया कि बिल लाखों रुपये में आया.

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आरपी सिंह ने सवाल उठाया कि अकेले मुख्यमंत्री के दोनों दफ्तरों सचिवालय और कैंप आफिस जो उनके निवास पर है, का बिल 47 लाख रुपये के आसपास है. ऐसे में सीएम को बताना चाहिए कि आखिर उन्होंने कब-कब किस-किस के साथ मीटिंग की.

समोसे का दाम प्रति नग 50 रुपये होने का दावा
आरटीआई में इस बात का जवाब नहीं दिया गया है कि नाश्ते में परोसी गई चीजों का दाम कितना था और किस दर पर इन्हें खरीदा गया. लेकिन आर पी सिंह ने दावा किया कि उनके पास पुख्ता जानकारी है कि केजरीवाल के दफ्तर में नाश्ते के लिए आने वाला समोसा पचास रुपए प्रति नग में खरीदा गया है.

गौरतलब है कि एक आरटीआई के जवाब में दिल्ली सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने जवाब दिया है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री और मंत्रियों के दफ्तर में पिछले 18 महीनों जो चाय नाश्ता हुआ है, उसका खर्चा एक करोड़ से ज्यादा है. ऐसे में अब विपक्ष केजरीवाल सरकार को फिजूलखर्ची के मुद्दे पर घेरने की कोशिश में जुट गया है.

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AAP ने कहा- सामान्य खर्च
आरपी सिंह एक कदम आगे निकलकर आरोप लगा रहे हैं कि उन्हें तो चाय नाश्ते का बिल देखकर कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाले की याद आ रही है. क्योंकि वहां भी छोटी-छोटी चीजें कहीं ज्यादा दामों पर खरीदी गईं थी. ऐसा ही कुछ अब दिल्ली सरकार के नाश्ते के बिल में नजर आ रहा है. हालांकि आम आदमी पार्टी ने फिजूलखर्ची और गड़बड़ी के आरोपों को नकारा है और इसे सरकार का सामान्य खर्चा बताया है.

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