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डिलिमिटेशन ने बदली MCD की सियासी तस्वीर, असर जानने के लिए BJP ने बनाई कमेटी

एमसीडी के वार्डों की नए सिरे सीमाएं तय हुई हैं. इसके बाद कई पार्षदों के पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक गई है. राज्य चुनाव आयोग ने महीनों की मशक्कत के बाद जनसंख्या के हिसाब से दिल्ली के नगर निगम वार्डों की बाउंड्रीज़ तय की हैं.

प्रतिकात्मक तस्वीर प्रतिकात्मक तस्वीर
कपिल शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 21 जनवरी 2017,
  • अपडेटेड 1:55 AM IST

एमसीडी के वार्डों की नए सिरे सीमाएं तय हुई हैं. इसके बाद कई पार्षदों के पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक गई है. राज्य चुनाव आयोग ने महीनों की मशक्कत के बाद जनसंख्या के हिसाब से दिल्ली के नगर निगम वार्डों की बाउंड्रीज़ तय की हैं. ज्यादा आबादी वाले वार्डों से कुछ इलाके निकालकर पड़ोस के वार्डों में शामिल कर दिए गए हैं.

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इसके अलावा वोटरों की ज्यादा संख्या वाले वार्डों को तोड़कर नए वॉर्ड बनाए गए हैं. हालांकि ऐसा करते वक्त इस बात का ध्यान रखा गया है कि तीनों नगर निगम के वार्डों की कुल संख्या प्रभावित न हो. इसके बावजूद कई वार्डों की शक्ल बदल गई है.

बीजेपी ने बनाई कमेटी
कई पार्षदों का एरिया पूरी तरह शिफ्ट हो गया है जबकि कई वार्डों के नाम बदल गए हैं, गलियों में हेरफेर हो गया है. ऐसे में पार्षदों के लिए चुनावी समीकरण भी बदल गए हैं. इस डिलिमिटेशन के बाद दिल्ली बीजेपी ने एक कमेटी बना दी है. ये कमेटी अब डिलिमिटेशन के बाद के हालात का अध्ययन करके एक रिपोर्ट तैयार करेगी. बीजेपी ने दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता को रिपोर्ट तैयार करने की ज़िम्मेदारी दी है.

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डिलिमिटेशन से बीजेपी को फायदा?
गुप्ता के मुताबिक डिलिमिटेशन दिल्ली की जरूरत थी और पार्टी नई तस्वीर के मुताबिक चुनाव लड़ने को तैयार है. पार्टी ने जिलाध्यक्षों और मंडल प्रमुखों को भी अपने अपने इलाके के बदले हालात पर रिपोर्ट देने के लिये कहा है. नई दिल्ली के जिलाध्यक्ष अनिल शर्मा के मुताबिक दिल्ली एमसीडी में बीजेपी की सत्ता है, इसलिए वार्ड में पार्षदों ने जो कामों को नए हालात में जनता तक पहुंचाना उनकी प्राथमिकता है.

दरअसल बीजेपी पिछले दस सालों से एमसीडी पर काबिज है. पार्टी को उम्मीद है कि डिलिमिटेशन के बाद इस फेक्टर का असर कुछ कम हो पाएगा.

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