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कॉमनवेल्थ खेलों की निशानियां खोल रही हैं दिल्ली सरकार की पोल

यह मुद्दा इसलिए भी प्रासांगिक है क्योंकि सरकार सड़कों के गड्ढे भरने का दावा कर रही है, नई सड़कें बनाने और खराब हो चुकी सड़कों की रीकार्पेटिंग का दावा करती है. लेकिन पीडब्ल्यूडी के अधिकार में आने वाली सड़कों पर गड्ढे ही गड्ढे हैं, ऐसे में यह आसानी से समझा जा सकता है कि पिछले 7 सालों में रिंग रोड जैसी सड़कों की सुध नहीं ली गई है.

गेम्स के दौरान बनी लेन गेम्स के दौरान बनी लेन
कपिल शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 13 जुलाई 2017,
  • अपडेटेड 3:22 AM IST

दिल्ली में कॉमनवेल्थ खेलों का आयोजन हुए 7 साल गुजर गए हैं, लेकिन इसकी निशानियां अभी बाकी हैं. यह ऐसी निशानी हैं जो तत्कालीन सरकार की गड़बड़ियों और घोटालों की याद दिलाती हैं, तो कुछ मौजूदा सरकार की लापरवाही और नाकामी को भी उजागर कर रही हैं. ये बात हैरान कर सकती है कि कॉमनवेल्थ गेम्स का मौजूदा सरकार से क्या रिश्ता हो सकता है, लेकिन यह सच है कि कॉमनवेल्थ खेलों से जुड़ी कुछ चीज़ें ऐसी हैं, जिन्हें देखने के बाद यह आसानी से कहा और समझा जा सकता है कि मौजूदा सरकार कहां नाकाम रही है और किस तरह उससे चूक हुई है.

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आपको सबसे पहले दिल्ली की लाइफ लाइन कही जाने वाली रिंग रोड की कहानी बताते हैं, जो मौजूदा सरकार की नाकामी को बयां करती है. इसकी तस्दीक कॉमनवेल्थ खेलों के दौरान हुए कामों से होती है. आश्रम के पास लाजपत नगर से महारानी बाग जाते वक्त सड़क पर नज़र डालेंगे, तो एकदम दायीं लाइन में सीडब्ल्यूजी 2010 लिखा हुआ है, जो रिज़र्व लेन की पहचान के लिए लिखा गया था. इस लेन को खिलाड़ियों को लाने ले जाने और इमरजेंसी वाहनों की आवाजाही के लिए रिज़र्व किया गया था.

रिंग रोड पर बनी इस लेन में गाड़ी चलाने पर 2000 रुपए का चालान होता था. इसकी जानकारी इसलिए क्योंकि इस लेन के नियम और जुर्माना भले ही अब खत्म हो गया हो, लेकिन इस लेन पर जगह-जगह इबारत के तौर पर लिखा सीडब्ल्यूजी 2010 अभी भी मौजूद हैं और यह इस बात की निशानी है कि अब तक संबंधित सड़कों की मरम्मत या फिर उन्हें खराब होने पर फिर से नहीं बनाया गया है.

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यह मुद्दा इसलिए भी प्रासांगिक है क्योंकि सरकार सड़कों के गड्ढे भरने का दावा कर रही है, नई सड़कें बनाने और खराब हो चुकी सड़कों की रीकार्पेटिंग का दावा करती है. लेकिन पीडब्ल्यूडी के अधिकार में आने वाली सड़कों पर गड्ढे ही गड्ढे हैं, ऐसे में यह आसानी से समझा जा सकता है कि पिछले 7 सालों में रिंग रोड जैसी सड़कों की सुध नहीं ली गई है.

रिंग रोड ही क्यों दिल्ली की कई प्रमुख सड़कें जिन्हें कॉमनवेल्थ खेलों के वक्त बनाया गया था उनकी सुध भी नहीं ली गई है और आज कई जगहों पर यह सड़कें बुरी हालत में हैं. दिल्ली सरकार की तरफ से कोई इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देने के लिए उपलब्ध नहीं हो सका, लेकिन बीजेपी के मीडिया प्रमुख प्रवीण शंकर कपूर के मुताबिक यह मौजूदा सरकार की नाकामी है और सबूत है कि दिल्ली में सारे काम ठप पड़े हैं. सड़कों की मरम्मत जैसे काम भी नहीं हो पा रहे हैं ऐसे में नई सड़कें और फ्लाईओवर बनाना की दूर की बात है.

 

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