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कांग्रेस दिल्ली अध्यक्ष अजय माकन ने कहा है कि केन्द्र की भाजपा सरकार तथा आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार में मिलीभगत है. इसलिए गृह मंत्रालय ने दिल्ली सरकार द्वारा नियुक्त किए गए केवल 9 सलाहकारों को हटाया है, जबकि शुंगलू कमेटी की रिपोर्ट ने दिल्ली सरकार द्वारा आप पार्टी के 71 समर्थकों की नियुक्ति में अनियमितताएं पाई गई थी.
माकन ने कहा कि आप पार्टी राघव चड्ढा तथा अतिशी मर्लिना को 2019 का लोकसभा चुनाव लड़वाना चाहती है. इसलिए उनको गृह मंत्रालय के द्वारा हटवाया गया, ताकि उनको चुनाव में लोगों की सहानूभूति मिल सके. अजय माकन ने कहा कि शुंगलू कमेटी की रिपोर्ट 28 नवंबर 2016 को दिल्ली के उपराज्यपाल को सौंप दी गई थी, परंतु गृह मंत्रालय ने शुंगलू कमेटी की रिपोर्ट पर कार्रवाई करने में इतना समय क्यों लिया? यह लाख टके का प्रश्न है. जबसे राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष बने हैं, तब से कांग्रेस का ग्राफ बड़ी तेजी से ऊपर बढ़ रहा है जिसके कारण भाजपा बुरी तरह से भयभीत है.
अजय माकन ने कहा कि दिल्ली सरकार के 9 सलाहकारों की नियुक्तियों को रद्द किए जाने के पीछे भाजपा की केन्द्र सरकार और आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार की मिलीभगत है, क्योंकि शुंगलू कमेटी ने 28 नवम्बर 2016 को अपनी रिपोर्ट दिल्ली के उपराज्यपाल को दे दी थी, जिसमें आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार द्वारा की गई 71 नियुक्तियों में अनियमितताएं पाई गई थीं, जबकि सरकार ने केवल 9 चुनिन्दा सलाहकारों को ही हटाया है क्योंकि राघव चड्ढा तथा अतिशी मर्लिना जैसे लोगों को जनता की सहानुभूति दिलाकर 2019 में लोकसभा का चुनाव लड़वाना चाहती है.
माकन ने कहा कि बड़े ही आश्चर्य की बात है शुंगलू कमेटी ने अपनी रिपोर्ट 28 नवम्बर 2016 को दिल्ली के उपराज्यपाल को दे दी थी और 9 सलाहकारों को हटाने का आदेश अप्रैल 2018 में अर्थात इतनी देर बाद क्यों दिया गया. इसके पीछे उनकी क्या मंशा है, यह स्पष्ट हो जाती है. माकन ने अतिशी मर्लिना का उदाहरण देते हुए कहा कि उनको प्रतिमाह एक रुपये के वेतन पर उपमुख्यमंत्री का सलाहकार नियुक्त किया गया था, जबकि राघव चड्ढा को वितमंत्री का सलाहकार नियुक्त किया गया था, जिसके बारे में शुंगलू कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में क्लोज चैप्टर लिखा था, क्योंकि उनकी नियुक्ति केवल ढाई महीने के लिए हुई थी. माकन ने कहा कि जब राघव की नियुक्ति केवल ढाई महीने के लिए थी, तो उनको 9 सलाहकारों के साथ क्यों हटाया गया. इसके पीछे आप पार्टी और भाजपा की मंशा साफ नजर आती है कि दोनों मिले हुए हैं.