
दिल्ली विधानसभा पर मंगलवार शाम को सैकड़ों कर्मचारियों का हुजूम लगा हुआ था यह सभी कर्मचारी अभी संविदा (कॉन्ट्रैक्ट) पर हैं. कर्मचारी अरविंद केजरीवाल के उस वादे के विरोध में इकट्ठा हुए थे, जो उन्होंने चुनाव से पहले किया था. कर्मचारियों ने केजरीवाल को अपना वह वादा याद दिलाया कि कैसे चुनाव के वक्त अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि वह दिल्ली में सरकार बनाते ही सभी संविदा पर काम कर रहे कर्मचारियों को स्थायी कर देंगे.
कर्मचारियों ने कहा कि 3 साल बीत जाने के बावजूद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपना वह वादा पूरा नहीं कर सके, लिहाजा उनको यह वादा याद दिलाने के लिए सड़क पर मार्च निकालना पड़ रहा है.
हाथों में मशाल और मुंह पर काली पट्टी बांधकर जताया विरोध
सैकड़ों की तादाद में मार्च निकाल रहे कर्मचारियों ने अपने मुंह पर काली पट्टी बांध रखी थी और हाथों में मशाल लेकर विरोध जताया. वहीं कई कर्मचारी तिरंगा हाथ में लेकर मजदूर दिवस पर अपना हक मांगने के लिए मार्च में शामिल थे, इनमें से अधिकतर कर्मचारी दिल्ली परिवहन विभाग के थे. इसके अलावा कई कर्मचारी बिजली विभाग और कई कर्मचारी दिल्ली सरकार से जुड़े महकमों के थे.
इस मार्च की अगुवाई कर्मचारी नेता ऋषिपाल सिंह कर रहे थे जो ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एम्प्लॉइज ऑर्गेनाइजेशन के चेयरमैन हैं. ऋषिपाल ने कहा कि दिल्ली सरकार ने वर्कर्स के साथ बहुत भेद-भाव किया है. बीते कई सालों में कोई भी नई भर्ती नहीं निकाली गई. डीएसएसबी की समस्या का समाधान नहीं किया गया, उन्होंने आरोप लगाया कि 24 घंटे और 365 दिन चलने वाले कई विभाग जिसमें डीटीसी जैसे डिपार्टमेंट हैं, उनमें कर्मचारियों को पक्का नहीं किया गया. एलजी और सरकार के बीच लड़ाई होती रहती है.
केजरीवाल ने मजदूरों को छला है: मजदूर नेता
इस दौरान नई दिल्ली विकास परिषद यानी एनडीएमसी के मजदूर नेता दयाराम ने कहा कि केजरीवाल सरकार ने मजदूरों को छला है. वो एनडीएमसी के पदेन चेयरमैन हैं. वो लोगों को गुमराह कर रहे हैं, वो श्रम मंत्री को बोल रहे कि इन्हें पक्का करो ये वोट देंगे, जबकि ये इनका काम है. यानी आज भी अरविंद केजरीवाल अपने हिस्से का काम ना करके दूसरों पर डाल रहे हैं.
दिल्ली विधानसभा से लेकर उपराज्यपाल आवास तक निकाला मार्च
यह मार्च दिल्ली विधानसभा से शुरू होकर उपराज्यपाल के आवास तक पहुंचा. वहां पर कुछ चुनिंदा प्रतिनिधियों ने उपराज्यपाल दफ्तर में ज्ञापन सौंपा और चेतावनी दी कि अगर एक महीने के भीतर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो 1 जून से वह लोग दिल्ली का चक्का जाम कर देंगे.