
दिल्ली विधानसभा चुनाव अब अधिक दूर नहीं है. ऐसे में राजधानी की सड़कों पर अभी से पोस्टर संग्राम नजर आने लगा है. दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (AAP) के पोस्टर में मोटे अक्षरों में 'मेरा वोट काम को' नारे का इस्तेमाल किया जा रहा है.
AAP की प्रचार मुहिम का जोर खास तौर पर अनाधिकृत कॉलोनियों के आसपास है. दिल्ली में प्रचार की दौड़ में बीजेपी भी पीछे नहीं रहना चाहती. यही वजह है कि दोनों पार्टियों ने वोटरों को लुभाने के लिए अभी से पोस्टर-बैनर का जमकर इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है.
अनाधिकृत कालोनियों के पास AAP के पोस्टर
अनाधिकृत कालोनियों के पास AAP के जो पोस्टर लगे हैं उनमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का हंसता हुआ चेहरा देखा जा सकता है. साथ ही इन अनाधिकृत कॉलोनियों में किए गए कामों का श्रेय भी लिया जा रहा है. वहीं बीजेपी के पोस्टरों में इन कॉलोनियों के निवासियों को मालिकाना अधिकार दिए जाने का जिक्र दिखता है. साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा भी.
पोस्टर संग्राम में AAP के विधायक अपने अपने क्षेत्रों में वोटरों को बता रहे हैं कि उन्होंने क्षेत्र के लिए 5 साल में क्या क्या काम किए. दक्षिण दिल्ली के संगम विहार में AAP विधायक दिनेश मोहनिया ने 'मेरा वोट काम को' नारे के साथ होर्डिंग्स लगाए हैं. इसके अलावा मोहनिया के पोस्टर ऑटो के पीछे और डीटीसी बस स्टाप्स पर देखे जा सकते हैं.
मोहनिया का कहना है, 'लोकतंत्र की सही भावना यही है कि निर्वाचित प्रतिनिधि अपने पांच साल के कामों का हिसाब जनता के सामने रखे और उसी काम के आधार पर वोट मांगे. ना कि जाति, धर्म और क्षेत्रवाद के आधार पर. ये जनता का भी दायित्व है कि वो काम के आधार पर ही वोट देने का फैसला करें.'
मोहनिया ने कहा, 'बीजेपी ने भी पूरी दिल्ली में पोस्टर लगाए हैं. हम मानते हैं कि जब तक इन अनाधिकृत कॉलोनियों के लिए रजिस्ट्री नहीं हो जातीं, जो कि उनका अधिकार है, तब तक उनका सिर्फ वेबसाइट पर रजिस्टर कर देने का कोई फायदा नहीं है. इसमें कई खामियां हैं. कोई भी कॉलोनी ओ ज़ोन, वन विभाग, एएसआई की अनुमति लिए बिना रजिस्टर नहीं हो सकती. संगम विहार की किसी भी कॉलोनी के लिए रजिस्ट्री नहीं हो रही.'
हस्ताक्षर अभियान चलाएगी बीजेपी
अनाधिकृत कॉलोनियों को लेकर मोदी सरकार के फैसले का प्रचार जोरशोर से करने में बीजेपी भी पीछे नहीं है. दिल्ली बीजेपी के महासचिव कुलजीत सिंह चाहल के मुताबिक ना सिर्फ पोस्टर-बैनर बल्कि उनकी पार्टी अनाधिकृत कालोनियों में शीघ्र ही हस्ताक्षर अभियान भी चलाएगी. चाहल ने कहा, लक्ष्मी नगर, बुराड़ी, ओखला, आश्रम और रिंग रोड के अलावा पूरी दिल्ली में पोस्टर लगाए गए हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम उदय योजना के तहत अनाधिकृत कॉलोनियों को मालिकाना हक दिए हैं. लेकिन आम आदमी पार्टी ने 'धोखा दिवस' मना कर लोगों को भ्रमित कर दिया है, नक्शा पास कराने से लेकर अनाधिकृत कॉलोनियों को मालिकाना हक देना पीएम मोदी की वजह से ही मुमकिन हो सका है. चुनाव से पहले बीजेपी नेता लोगों को अनाधिकृत कॉलोनियों के बारे में बताने के लिए सोशल मीडिया के इस्तेमाल के साथ हस्ताक्षर अभियान भी चलाएंगे.
दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता और बीजेपी विधायक विजेंद्र गुप्ता AAP सरकार पर अनाधिकृत कॉलोनियों के लिए कुछ नहीं करने का आरोप लगाते हैं. गुप्ता के मुताबिक पीएम मोदी 22 दिसंबर को रामलीला मैदान में अनाधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने के फैसले पर लोगों को संबोधित करेंगे.
बीजेपी और आम आदमी पार्टी का संग्राम
गुप्ता कहते हैं, 'अरविंद केजरीवाल अनाधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने के फैसले से भ्रमित हैं. ये आम आदमी पार्टी के अलग से दिए गए बयान से साफ है कि वो पीएम मोदी के फैसले से हिल गए हैं. इन कॉलोनियों की स्थिति खराब है. इन कॉलोनियों में काम करने के कॉरपोरेशन को पैसा मिलना बंद हो गया है. अनाधिकृत कॉलोनियों के लोग केंद्र सरकार के फैसले से खुश हैं, यही आम आदमी पार्टी को परेशान कर रहा है.'
AAP के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने अनाधिकृत कॉलोनियों में 5 साल में केजरीवाल सरकार की ओर से किए गए कामों का हवाला दिया. भारद्वाज कहते हैं, 'एक पार्टी AAP कह रही हैं कि उसकी सरकार के कार्यकाल में सड़कें, सीवर लाइन और पानी की लाइन बिछाने का काम किया गया है. लेकिन एक और पार्टी बीजेपी है जो कह रही है कि हमने 6 साल तक सत्ता का स्वाद चखा और हम अनाधिकृत कालोनियों के लिए कुछ करेंगे. अब ये तय करना लोगों का काम है कि वो उस पार्टी के लिए वोट करेगी जिसने काम किया या उसके लिए जो किसी बात का ही कर रही है.'
भारद्वाज ने कहा, 'बीजेपी ने सिर्फ 100 घरों को चुना. चुनाव के बाद बीजेपी अनाधिकृत कॉलोनियों की कोई फिक्र नहीं करेगी. अनाधिकृत कॉलोनियों के लोगों को मैंने ये कहते सुना है कि वो नियमितीकरण को लेकर पिछले 20 साल से घोषणाएं सुनते आए हैं. वो लोग ऐसी घोषणाओं पर तब तक विश्वास नहीं करेंगे जब तक कि उनके हाथ में रजिस्ट्री नहीं आ जाती.'