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'निर्भया फंड' से लगेंगे DTC और क्लस्टर बसों में कैमरे, दिल्ली सरकार ने दी मंजूरी

आम आदमी पार्टी ने 2015 विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान डीटीसी बसों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का वादा किया था. इस वादे के चलते ही सरकार इसको मंजूरी दी है. बता दें कि देश की राजधानी में बसों की भारी किल्लत है.

क्लस्टर और डीटीसी बसों में सीसीटीवी लगाने के फैसले को मंजूरी क्लस्टर और डीटीसी बसों में सीसीटीवी लगाने के फैसले को मंजूरी
पंकज जैन/केशवानंद धर दुबे
  • नई दिल्ली,
  • 21 जून 2017,
  • अपडेटेड 11:57 AM IST

आम आदमी पार्टी सरकार ने दिल्ली में क्लस्टर और डीटीसी बसों में सीसीटीवी लगाने वाले फैसले को मंजूरी दे दी है. दिल्ली कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद निर्भया फंड से 140 करोड़ रुपये की लागत से 6 हजार 350 क्लस्टर और DTC बसों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे.

आपको बता दें कि आम आदमी पार्टी ने 2015 विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान डीटीसी बसों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का वादा किया था. इस वादे के चलते ही सरकार ने इसको मंजूरी दी है. बता दें कि देश की राजधानी में बसों की भारी किल्लत है. डीटीसी  2010 से एक भी बस नहीं खरीद पाई है, क्योंकि टेंडर के दौरान कोई कंपनी डीटीसी की शर्तों पर बस देने के लिए तैयार ही नहीं हुई.

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महिला सुरक्षा के नाम पर डीटीसी बसों में सीसीटीवी लगाने के लिए निर्भया फंड से धन लेने का प्रस्ताव केंद्र को दिया जाएगा. इससे पहले 2016 में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर डीटीसी बसों में सीसीटीवी लगाए गए थे.

डीटीसी का एक कंट्रोल रूम के जरिए किया जाएगा संचालन
हर बस में 3 सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे. इसमें एक अच्छा फीचर ये है, कि कोई भी क्राइम अगर बस में होता है तो एक पैनिक बटन साथ में दिया जाएगा. पैनिक बटन दबाते ही कंट्रोल रूम में लाइव स्ट्रीमिंग शुरू हो जाएगी. जिस बस से पैनिक बटन दबाया जाएगा उस बस की लाइव पिक्चर कंट्रोल रूम में देख सकते हैं. इसके अलावा जीपीएस की ज़रिए तुरन्त बस की लोकेशन नज़दीकी पीसीआर और लोकल थाने तक पहुंचेगी. डीटीसी का एक कंट्रोल रूम है लेकिन सीसीटीवी लगाने के फैसले के बाद परिवहन विभाग एक नया कंट्रोल रूम सेटअप करेगा.

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कॉर्डिनेशन के लिए दिल्ली पुलिस से लगातार बातचीत चल रही है. 200 सीसीटीवी के पायलट प्रोजेक्ट के दौरान क्राइम की घटना के बाद दिल्ली पुलिस ने कई बार कंट्रोल रूम से रिकॉर्डिंग ली है.

जो नए सीसीटीवी लगाए जा रहे हैं, इसका मेंटेनेंस अगले 5 साल तक टेंडर के ज़रिए आने वाली प्राइवेट कंपनी ही करेगी. पिछले ढाई साल में 2 बार बसों के टेंडर निकाले गए लेकिन मेंटेनेंस की शर्त की वजह से दोनों बड़ी कंपनी टाटा और अशोक-लिलेंड ने हिस्सा नही लिया. मेंटेनेंस की शर्त पर बहुत ज्यादा रेट दोनों कंपनी बढ़ा रही थीं, इसलिए टेंडर फेल हो गए.

हाल ही में डीटीसी बोर्ड ने 1000 बसे खरीदने को अनुमति दी है. साथ ही डीटीसी अब खुद इन बसों का मेंटेनेंस करेगा. मेंटेनेंस के लिए अगर ज्यादा स्टाफ की नियुक्ति करनी पड़ी तो डीटीसी खुद करेगा.

निर्भया कांड के बाद हुए थे कई फैसले
प्रस्ताव के वक्त प्रोजेक्ट की लागत लगभग 103 करोड़ रुपए थी और ये फंड 'निर्भया' से लिया जाना था. 2014 में डीटीसी बसों में सीसीटीवी लगाने के लिए 3 करोड़ 91 लाख रुपए खर्च हुए थे. आपको बता दें कि डीटीसी की 4 हजार से ज्यादा बसों में इलेक्ट्रॉनिक मशीन और वाईफाई भी लगने थे. ये तमाम फैसले देश की राजधानी में हुए निर्भया कांड के बाद लिए गए थे.

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