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जानिए, अरविंद केजरीवाल के माफी मांगने की 3 बड़ी वजह

यह सीएम केजरीवाल की खास रणनीति हो सकती है. नेतृत्व ने फैसला लिया है कि सभी नेताओं पर चल रहे मानहानि के मुकदमों को जैसे-तैसे खत्म किया जाए. इसके लिए माफी भी मांगनी पड़े, तो भी वे तैयार हैं.

 दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल
सुरभि गुप्ता/पंकज जैन
  • नई दिल्ली,
  • 20 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 7:39 AM IST

आम आदमी पार्टी इन दिनों माफीनामे के दौर से गुजर रही है. दिल्ली से लेकर पंजाब तक चुनावी रैलियों में सख्ती से विरोधियों पर निशाना साधने वाले अरविंद केजरीवाल इन दिनों नरम पड़ते नज़र आ रहे हैं. राजनीति में आने के बाद आम आदमी पार्टी के कई नेता मानहानि के मुकदमों से जूझ रहे हैं.

अरविंद केजरीवाल ने पंजाब के पूर्व मंत्री बिक्रम मजीठिया, मौजूदा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और अमित सिब्बल से लिखित माफी मांगी है. इस फैसले से पार्टी के अंदरूनी नेताओं से लेकर बाहरी लोग भी हैरान हैं. पिछले साल भी अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी के पूर्व सांसद अवतार सिंह भड़ाना से माफी मांगी थी. उन्होंने यहां तक कहा था कि अपने सहयोगी के बहकावे में आकर गलत आरोप लगाए.

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अब क्या इनसे माफी मांगेंगे केजरीवाल?

- 2013 में शीला दीक्षित के राजनीतिक सचिव पवन खेड़ा ने केजरीवाल पर केस किया था. तब उन्होंने टेलीवीजन शो और प्रदर्शन के दौरान शीला पर अभद्र टिप्पणी की थी.

- अरुण जेटली ने केजरीवाल पर मानहानि के 2 केस किए हैं. पहला, डीडीसीए में भ्रष्टाचार के आरोप पर 10 करोड़ रुपए का मुकदमा, दूसरा मुख्यमंत्री दफ्तर पर छापे के मामले में जेटली का नाम घसीटने पर मुकदमा.

- 2013 में सुरेंद्र कुमार शर्मा ने उन पर केस किया था. ‘आप’ का टिकट ना देने और अपने खिलाफ अभद्र टिप्पणी के आरोप में सुरेंद्र ने केजरीवाल पर मानहानि का केस किया था.

- 2016 में बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी ने अपने खिलाफ आधारहीन आरोप लगाने के लिए केजरीवाल पर मानहानि का केस किया.

- 2016 में चेतन चौहान ने डीडीसीए मामले अपने खिलाफ अभद्र टिप्पणी के बाद केजरीवाल पर मानहानि का केस किया.

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क्या ये हैं माफीनामे की असल वजह?

1. संगठन की चिंता

यह सीएम केजरीवाल की खास रणनीति हो सकती है. नेतृत्व ने फैसला लिया है कि सभी नेताओं पर चल रहे मानहानि के मुकदमों को जैसे-तैसे खत्म किया जाए. इसके लिए माफी भी मांगनी पड़े, तो भी वे तैयार हैं. मानहानि के मुकदमों की वजह से ‘आप’ नेता पार्टी के विस्तार पर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं. कई राज्यों में संगठन बढ़ाना है. अगले साल 2019 में लोकसभा के चुनाव होने हैं.

2. खतरे में पार्टी का भविष्य

मानहानि के मामलों में पर्याप्त सबूत न पेश कर पाने की स्थिति में या तो भारी भरकम हर्जाना देना पड़ेगा या जेल जाना होगा. आम आदमी पार्टी ने अरविंद केजरीवाल को ही देश भर में चेहरा बनाया है और ऐसे में जब मानहानि केस की मुसीबत में खुद अरविंद केजरीवाल फंस जाएं तो लगातार टूट रही पार्टी का भविष्य खतरे में पड़ सकता है.

3. फंड की कमी

एक सवाल यह भी उठता है कि क्या ‘आप’ को चंदा आना भी कम हो चुका है या पार्टी के पास मानहानि के मुकदमें लड़ने के लिए पर्याप्त रकम नहीं है. कोर्ट केस में वकील अपने मनमुताबिक फीस लेते हैं. तारीखों की वजह से समय के साथ पैसा भी नुकसान हो रहा है. जाहिर है 2019 के चुनाव प्रचार में धन की जरूरत होगी.

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