
बार काउंसिल ऑफ दिल्ली के लिए हो रहे चुनावों में शुक्रवार को खुद वकील ही कोर्ट के आदेशों की धज्जियां उड़ाते दिखे. एनजीटी ने भी पिछले हफ्ते ही साफ कर दिया था कि इस चुनाव को कागज रहित कराया जाएगा, लेकिन हाईकोर्ट में नजारा कुछ और ही था जहां पर बार काउंसिल ऑफ दिल्ली का चुनाव चल रहा है.
जब इस बारे में चुनाव मैदान में उतरे उम्मीदवारों से या उनके समर्थकों से बात की गई तो सभी यह कहते नजर आए कि उन्होंने पेपर का इस्तेमाल नहीं किया है, लेकिन सड़क पर बिखरे पड़े उनके प्रचार के कागज खुद उन्हीं को मुंह चिढ़ा रहे थे. कोर्ट के आदेशों को लेकर सबसे ज्यादा गंभीरता की उम्मीद खुद वकीलों से की जाती है, लेकिन 16 और 17 मार्च को हो रहे इन चुनावों में खुद वकील ही कोर्ट का आदेश मानने को तैयार नहीं दिख रहे.
इस बार के चुनाव कई मामलों में खास है. 2009 के बाद तकरीबन 9 साल के बाद यह चुनाव सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हो रहा है. इसमें 25 सदस्यों का चयन होना है, जिसके लिए 173 उम्मीदवार मैदान में हैं और इन सभी के भविष्य का फैसला 52,000 वकीलों को मतदान करके करना है.
हाईकोर्ट में शुक्रवार और शनिवार दोनों दिन सुबह 9:30 बजे से मतदान शुरू होकर शाम 5:30 बजे तक चलेगा. मतदान में किसी तरह की परेशानी न हो, इसके लिए कुल 240 पोलिंग बूथ बनाए गए हैं और इसके लिए एक हजार से भी ज़्यादा लोगों को विशेष प्रशिक्षण देकर तैनाती की गई है.
कई दिनों तक चलती है मतगणना
बार काउंसिल ऑफ दिल्ली के चुनाव में बुज़ुर्गों और महिला वकीलों के लिए अलग लाइन है. मतगणना का काम 19 मार्च से शुरू होगा. दिलचस्प ये है कि मतगणना की प्रक्रिया कई दिनों तक चलती है, क्योंकि एक वोटर वकील को 25 सदस्यों के लिए अपने पसंद के क्रम से एक ही पेपर पर वोट करना होता है.