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बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने वकालत कर रहे सभी सांसदों और विधायकों को नोटिस जारी किया है. काउंसिल ने पूछा है कि क्यों न उन्हें प्रैक्टिस (वकालत) करने से रोक दिया जाए.
वकालत कर रहे सभी जनप्रतिनिधियों को इस मामले में एक हफ्ते के भीतर जवाब देना होगा. बार काउंसिल ऑफ इंडिया का कहना है चूंकि आप सभी जनप्रतिनिधि के तौर पर कार्य कर रहे हैं, इसलिए क्यों न आपकी वकालत पर रोक लगा दी जाए.
सभी सांसदों और विधायकों को इस नोटिस का जवाब एक हफ्ते के अंदर देने को कहा गया है. इस जवाब में सांसद और विधायक अपनी टिप्पणी, आपत्ति, सुझाव आदि दे सकते हैं. इस मामले में आखिरी फैसला 22 जनवरी को बार काउंसिल ऑफ इंडिया की बैठक में लिया जाएगा.
आपको बता दें कि इस फैसले से प्रभावित होने वाले हाई-प्रोफाइल वकीलों में कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल, पी चिदंबरम, अभिषेक मनु सिंघवी हैं. कांग्रेस ही नहीं, बीजेपी के भी कई सांसद और बड़े वकील इस फैसले के दायरे में आ रहे हैं.
बार काउंसिल ऑफ इंडिया का सवाल है कि सांसद और विधायक पब्लिक सर्वेंट हैं. उन्हें सरकारी खजाने से वेतन भत्ते मिलते हैं. ऐसे में उनका वकालत करना कहां तक नैतिक और कानूनी तौर पर सही है.