
दिल्ली की एक अदालत ने निवेशकों के साथ धोखाधड़ी करने वाले बिल्डरों के खिलाफ सख्त टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा है कि बिल्डरों की ठगी का शिकार हुए निवेशकों को परेशानी में नहीं छोड़ा जा सकता है.
ये टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने एक रियल एस्टेट फर्म के निदेशक को जमानत देने से इंकार कर दिया. इस फर्म पर 200 निवेशकों से करोड़ों रुपयों की ठगी का आरोप है.
कोर्ट ने जमानत की अपील रद्द करते हुए कहा कि धोखा देने वाले बिल्डरों को निवेशकों को परेशान करने की अनुमति नहीं दी जा सकती.
विशेष न्यायाधीश कामिनी लाउ ने रियल एस्टेट फर्म एएमआर इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के एक गिरफ्तार निदेशक की जमानत याचिका खारिज करते हुए ये टिप्पणियां कीं.
अदालत ने कहा कि निवेशकों को गुमराह करने के बाद उनसे ठगी करने वाले बिल्डर, डवलपर को कड़े कानूनी परिणाम भुगतने होंगे . कोर्ट ने कहा कि आम लोगों के अधिकारों से सिर्फ इसलिए समझौता नहीं हो सकता कि किसी ताकतवार शख्स के पास अच्छी कानूनी सलाह है और आम आदमी अकेले लड़ाई लड़ता है.
अदालत ने कहा कि बिल्डर अक्सर निवेशकों को टैक्स से बचने के लिए केवल नकदी में राशि जमा करने के लिए लुभाते हैं. जब निवेशक ऐसी स्थिति में फंस जाते हैं तो इसके बाद उन्हें टैक्स अधिकारियों के जरिए चुप करा दिया जाता है.
इस मामले में शिकायतकर्ताओं ने दावा किया है कि उन्हें 2006 में ग्रेटर नोएडा स्थित एक प्रोजेक्ट के लिए लुभाया गया और फर्म ने निवेशकों को पैसा वापस करने का भी आश्वासन दिया. मगर, इस विवादित प्रोजेक्ट में एक मॉल और एक आवासीय क्षेत्र शामिल था.