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EC के सवालों पर फंसी दिल्ली सरकार, नहीं है संसदीय सचिवों के काम की जानकारी

सचिवों को कौन सी सुविधाएं मिल रही हैं उस पर भी विभाग ने गोल-मोल जवाब देते हुए कहा है कि इस बारे में वो उन विभागों से जानकारी लेकर चुनाव आयोग को बताएंगे जिन विभागों के साथ ये संसदीय सचिव काम कर रहे हैं.

अरविंद केजरीवाल अरविंद केजरीवाल
लव रघुवंशी/कुमार कुणाल
  • नई दिल्ली,
  • 21 जुलाई 2016,
  • अपडेटेड 7:06 PM IST

21 संसदीय सचिव के मसले पर अब दिल्ली सरकार ने केंद्रीय चुनाव आयोग को अपनी ओर से आदिकारिक जवाब दे दिया है. लेकिन रोचक बात ये है कि दिल्ली सरकार ने कुछ अहम तथ्यों पर साफ-साफ जवाब देने से बचते हुए, सवाल को ये कहकर टाल दिया है कि इन संसदीय सचिवों से मंत्री काम लेते हैं और वही बता सकते हैं कि इन संसदीय सचिवों से कौन सा काम लिया जा रहा है और प्रशासन विभाग को संसदीय सचिवों के कामकाज की जानकारी नहीं है.

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इन सचिवों को कौन सी सुविधाएं मिल रही हैं उस पर भी विभाग ने गोल-मोल जवाब देते हुए कहा है कि इस बारे में वो उन विभागों से जानकारी लेकर चुनाव आयोग को बताएंगे जिन विभागों के साथ ये संसदीय सचिव काम कर रहे हैं.

चुनाव आयोग ने दिल्ली सरकार से पूछे थे 11 सवाल
दिल्ली सरकार के 21 संसदीय सचिवों की नियुक्ति का मसला केंद्रीय चुनाव आयोग के पास लंबित है. सचिव बनाए गए 21 विधायकों की सदस्यता खतरे में है और उस पर केंद्रीय चुनाव आयोग को फैसला लेना है. लेकिन फैसले से पहले चुनाव आयोग ने 11 बिंदुओं पर दिल्ली सरकार से कुछ गंभीर सवाल पूछे हैं. चुनाव आयोग के सचिव ने एक चिट्ठी के जरिए सरकार से 24 जून को तमाम सवाल पूछे.

जवाब दिल्ली सरकार की ओर से सामान्य प्रशासन विभाग के मुख्य सचिव रमेश नेगी ने 11 जुलाई को केंद्रीय चुनाव आयोग के सचिव को एक चिट्ठी लिखकर भेजी, जिसकी एक्सक्लूसिव कॉपी 'आज तक' के पास मौजूद है.

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ये थे दिल्ली सरकार के जवाब
11 सवालों में सबसे पहला सवाल ये था कि वो कौन से आदेश के नोट थे, जिसके जरिए संसदीय सचिवो के पद को बनाया गया? जवाब में दिल्ली सरकार ने मुख्यमंत्री कार्यालय और उपमुख्यमंत्री कार्यालय से जारी हुए 3 आदेशों का जिक्र किया है. दूसरी जानकारी चुनाव आयोग ने इन 21 संसदीय सचिवों को जारी किए गए नियुक्ति पत्र को लेकर मांगी, जिसके जवाब में नियुक्ति पत्र की कॉपी सौंप दी गई. पेंच तीसरे सवाल में आया जिसमें सरकार से पूछा गया था कि इन संसदीय सचिवों को कौन से काम दिए गए हैं, तो सामान्य प्रशासन विभाग ने ये साफ किया कि उनकी तरफ से काम के बंटवारे का कोई आदेश जारी नहीं किया गया हैं, मंत्री जो काम देते हैं संसदीय सचिव वही काम करते हैं.

इसके बाद के वेतन, भत्ते, ऑफिस के लिए जगह, कर्मचारियों देने जैसे सवाल पूछे गए, जिसके बारे में सरकार ने साफ किया कि ऐसी कोई भी सुविधा संसदीय सचिवों को नहीं दी गई है. इसके अलावा सामान्य प्रशासन विभाग ने चुनाव आयोग को ये भी बताया है कि न ही संसदीय सचिवो को कोई गाड़ी दी, न ड्राइवर दिया, न ही कोई आवास मिला और न ही कोई कैंप दफ्तर या टेलीफोन दिया गया. लेकिन 11वें और आखिरी सवाल में जब बाकी किसी सुविधा पर सवाल पूछा गया तो सामान्य प्रशासन विभाग ने इसकी जानकारी बाकी विभागों से लेकर देने को कहा है.

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