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दिल्ली में बढ़ा प्रदूषण, मेनका गांधी ने लोगों को ही ठहराया जिम्मेदार

मेनका ने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट लोगों कहता है कि पटाखे मत चलाओ क्योंकि यह पर्यावरण के लिए खतरनाक है तो लोग आदेश नहीं मानते, लेकिन वही लोग बाद में ये शिकायत करते हैं कि वो सांस नहीं ले पा रहे हैं और ये स्थिति खतरनाक है.

मेनका गांधी मेनका गांधी
परमीता शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 07 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 1:34 PM IST

देश की राजधानी दिल्ली की आबोहवा में जिस तरह से प्रदूषण बढ़ता जा रहा है और उसी तरह लोगों की परेशानी में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है. अस्पतालों में मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. मंगलवार सुबह दिल्ली-एनसीआर में धुंध देखने को मिली जिसके बाद दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के बीच राजनीतिक खींचतान तेज हो गई है.

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बढ़ते प्रदूषण के लिए जनता जिम्मेदार

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने इस बढ़ते प्रदूषण को रोकने में अपना योगदान नहीं देने की बात कही है. मेनका ने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट लोगों कहता है कि पटाखे मत चलाओ क्योंकि यह पर्यावरण के लिए खतरनाक है तो लोग आदेश नहीं मानते, लेकिन वही लोग बाद में ये शिकायत करते हैं कि वो सांस नहीं ले पा रहे हैं और ये स्थिति खतरनाक है. मेनका ने कहा कि दोनों बातें एक साथ नहीं चल सकतीं. लोगों को जिम्मेदार बनना होगा. सांस लेना सबका मूलभूत अधिकार है. स्कूल बंद करने से क्या होगा? क्योंकि बच्चे सांस तो घर के भीतर भी लेंगे और वहां भी हवा उतनी ही गंदी है जितनी की घर से बाहर.

केजरीवाल ने पराली को बताया जिम्मेदार

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट करते हुए लिखा कि दिल्ली गैस चैंबर बन चुकी है. हर साल इस समय यही हाल होता है. दिल्ली के नजदीकी राज्यों में जलाई जाने वाली पराली का हमें मिलकर कोई हल निकालना होगा.

कपिल मिश्रा ने केजरीवाल पर साधा निशाना

कपिल मिश्रा ने ट्वीट करते हुए लिखा कि दिल्ली बदतर हालत में हैं जहां लोग रोज इस बढ़ते प्रदूषण से लड़ रहे हैं. बच्चों को परेशानी हो रही है. जाग जाओ केजरीवाल! कुछ कदम उठाओ. उन्होंने कहा कि दिल्ली में हेल्थ एमरजेंसी घोषित करो, स्कूलों को बंद करो, मास्क बांटो, ऑड-ईवन लागू करो, ऑफिस टाइमिंग में बदलाव करो जो करना है करो. बता दें कि दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए दिल्ली सरकार ऑड-ईवन फॉर्मूला लागू करने के बारे में विचार कर रही है.

बता दें कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों के बावजूद भी पंजाब और हरियाणा के किसान बेधड़क पराली जला कर दिल्ली-एनसीआर के लोगों की परेशानी और बढ़ा रहे हैं. एक अनुमान के मुताबिक केवल पंजाब राज्य में हर साल 19.7 मिलियन टन पराली उत्पन्न होती है जिसका ज्यादातर हिस्सा आग के हवाले कर दिया जाता है. पराली जलाने पर होने वाले प्रदूषण का असर दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों में भी नजर आता है.

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