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ईवन के दिन चला रहे थे ऑड नंबर वाली गाड़ी, कटा चार हजार का चालान

दिल्ली में ऑड-ईवन नियम लागू होने के बाद चालान कटने लगे हैं. ईवन के दिन ऑड नंबर प्लेट की गाड़ियां चलाने वाले के चालान काटे जा रहे हैं. पहला चालान इंडिया गेट के पास काटा गया.

ऑड-ईवन नियम तोड़ने पर कटा चालान (तस्वीर-ANI) ऑड-ईवन नियम तोड़ने पर कटा चालान (तस्वीर-ANI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 04 नवंबर 2019,
  • अपडेटेड 9:52 AM IST

  • ऑड-ईवन नियम तोड़ने पर कटा पहला चालान
  • इंडिया गेट के पास नियम तोड़ते पकड़ा गया शख्स

दिल्ली में ऑड-ईवन नियम लागू होने के बाद चालान कटने लगे हैं. ईवन के दिन ऑड नंबर प्लेट की गाड़ियां चलाने वाले के चालान काटे जा रहे हैं. पहला चालान इंडिया गेट के पास काटा गया. इसके बाद ट्रैफिक पुलिस ने आईटीओ के पास एक शख्स का चालान काटा.

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शख्स का कहना है कि मैं नोएडा में रहता हूं. कल रात मैं किसी काम से दिल्ली आया था. मुझे ऑड-ईवन नियम के बारे में जानकारी नहीं थी. बता दें, नियम तोड़ने पर 4 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जा रहा है.

दिल्ली में प्रदूषण की खतरनाक स्थिति से निपटने के लिए आज से ऑड-ईवन योजना शुरू हो गई. ऑड-ईवन का आज पहला दिन है. 4 तारीख होने की वजह से सोमवार को दिल्ली की सड़कों पर सिर्फ 2,4,6,8,0 वाली गाड़ियां दौड़ेंगी.

यह भी पढ़ें: ऑड-ईवन: सिसोदिया बोले- पराली के धुएं का ठीकरा दिल्ली पर न फोड़ें

ऑड ईवन पर बोलते हुए दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि पूरा उत्तर भारत धुंध की वजह से सुलग रहा है. हम कुछ नहीं कर पा रहे हैं, लेकिन अगर हम ऑड-ईवन नियम को अगले 10 दिन तक फॉलो करते हैं तो राहत मिल सकती है. यह स्कीम हर किसी के लाभ के लिए है.

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 ऑड-ईवन फॉर्मूले पर विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए मनीष सिसोदिया ने कहा कि प्रदूषण पर राजनीति नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह राजनीति के केंद्र में होना चाहिए. उन्होंने कहा कि हम लगातार कोशिश करते रहे हैं और 20 दिन पहले तक दिल्ली का प्रदूषण बेहद कम था.

प्रदूषण पर केंद्र भी गंभीर

केंद्र सरकार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में बढ़ते प्रदूषण पर करीब से नजर रखे हुई है. अधिकारियों ने बताया कि लगभग 300 टीमें प्रदूषण को कम करने में लगी हुई हैं. इस काम के लिए जरूरी मशीनरी राज्यों में बांटी गई हैं. केंद्र सरकार की नजर मुख्य रूप से सात औद्योगिक क्षेत्रों और बड़े यातायात गलियारों पर है. प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों, कचरों को जलाए जाने और निर्माण गतिविधियों पर खासतौर से नजर रखी जा ही है.

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