
एनजीटी ने प्रदूषण पर लगाम लगाने और प्रदूषण को बढ़ा रहे लोगों को रोकने के लिए भले ही नियमों को सख्त किया हो और जुर्माने वसूलने की हिदायत एजेंसियों को दी हो लेकिन न तो एजेंसियों के लिए आम लोगों से जुर्माने की राशि वसूलना आसान है और न ही प्रदूषण को कम करने को लेकर आम लोग कुछ खास जागरूक दिख रहे है.
ईस्ट एमसीडी ने एनजीटी में एक अर्जी लगाई है कि कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए उन्होंने प्रदूषण फ़ैला रहे लोगों का चालान तो कर दिया है लेकिन लोग जुर्माने की राशि तक भरने को तैयार नहीं है. ईस्ट एमसीडी ने अपनी लगायी अर्जी में बताया है कि उन्होंने कूड़ा जलाने वाले करीब 336 लोगों ने चालान होने के बवजूद जुर्माना नहीं दिया है जबकि निर्माण कार्य करके प्रदूषण फ़ैला रहे करीब एक हज़ार से ऊपर लोगों का चालान किया गया है. ये सब जुर्माने एनजीटी के सख्त आदेश के बाद ईस्ट एमसीडी ने किये जो दिल्ली मे प्रदूषण के ख़तरनाक स्तर तक पहुचने के बाद उसको कंट्रोल करने के लिए दिए गए थे.
ईस्ट एमसीडी ने अर्जी में कहा कि निर्माण कार्य में नियमों का पालन न करने वाले और धूल से प्रदूषण को बढ़ा रहे करीब 1082 लोगों ने अभी तक जुर्माने की रकम जमा नहीं की है, इसके अलावा कूड़ा जलाने वाले करीब 336 लोगों ने भी चालान होने के बाद भी जुर्माने की रकम नहीं चुकाई है. कूड़ा जलाने पर 5 हज़ार का जबकि निर्माण कार्य से प्रदुषण फ़ैलाने पर 50 हज़ार तक का जुर्माना है यानि जुर्माने का लाखों रुपया डिफाल्टरों से वसूलने के लिए भी ईस्ट एमसीडी को कोर्ट की शरण मे आना पड़ा है. एनजीटी ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए 21 दिसंबर को इस पर सुनवाई करने का फ़ैसला लिया है.