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ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामला: EC ने AAP के 21 विधायकों को दिया आखिरी मौका

आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों के खिलाफ चल रहे ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में चुनाव आयोग ने आखिरी उन्हें आखिरी अल्टीमेटम दे दिया है. आप विधायकों को अपना जवाब जमा करने के लिए 17 तारीख की डेडलाइन दी गई है. आप के 21 एमएलए पर सदस्यता रद्द होने का खतरा मंडरा रहा है.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल
सबा नाज़
  • नई दिल्ली,
  • 13 अक्टूबर 2016,
  • अपडेटेड 2:27 PM IST

आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों के खिलाफ चल रहे ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में चुनाव आयोग ने आखिरी उन्हें आखिरी अल्टीमेटम दे दिया है. आप विधायकों को अपना जवाब जमा करने के लिए 17 तारीख की डेडलाइन दी गई है. आप के 21 एमएलए पर सदस्यता रद्द होने का खतरा मंडरा रहा है.

पहले चुनाव आयोग ने सभी 21 विधायकों को 7 अक्टूबर तक जवाब जमा करने को कहा था. जिसपर आम आदमी पार्टी के विधायकों ने चुनाव आयोग से अपील की थी, कि उन्हें मामले में अपना पक्ष रखने के लिए कुछ और कागजात जमा करने के लिए वक्त दिया जाए. इसके बाद आयोग ने अवधि को 10 दिन बढ़ाकर 17 अक्टूबर कर दिया है. चुनाव आयोग ने उन्हें अल्टीमेटम देते हुए कहा है कि 'अगर 17 तारीख तक जवाब जमा नहीं किए गए तो ये समझा जाएगा कि उनके पास कहने के लिए कुछ नहीं है.'

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चुनाव आयोग ने याचिकाकर्ता प्रशांत पटेल से भी कहा है कि अगर उन्हें भी विधायकों के जवाब के बाद कुछ कहना हो, तो 21 अक्टूबर तक अपना जवाब लिखित में चुनाव आयोग में जमा करा सकते हैं, इसी के बाद सुनवाई की अगली तारीख तय होगी.

गौरतलब हो कि AAP के 21 विधायकों को दिल्ली सरकार ने संसदीय सचिव के पद पर नियुक्त किया था. चुनाव आयोग ने संवैधानिक प्रावधान न होने के बावजूद भी संसदीय सचिव बनाए जाने पर 21 विधायकों से जवाब मांगा था.

केंद्र ने दिल्ली हाई कोर्ट में जताई थी आपत्ति
विधायकों को संसदीय सचिव बनाए जाने के फैसले का विरोध करते हुए केंद्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट में आपत्ति जताई थी. केंद्र का कहना है कि दिल्ली में सिर्फ एक संसदीय सचिव हो सकता है, जो मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पास होगा. 21 विधायकों को यह पद देने का कोई संवैधानिक प्रावधान नहीं है.

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केजरीवाल सरकार ने किया था ये बदलाव
बता दें कि दिल्ली सरकार ने दिल्ली असेंबली रिमूवल ऑफ डिस्क्वॉलिफिकेशन एक्ट-1997 में संशोधन किया था. इस विधेयक का मकसद संसदीय सचिव के पद को लाभ के पद से छूट दिलाना था, जिसे राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नामंजूर कर दिया था. इस मामले में चुनाव आयोग ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव से जवाब मांगा था.

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