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रेलवे ने नई दिल्ली स्टेशन पर लगाया महापंखा, जानिए क्या है खासियत

जल्द ही इस नई सुविधा से हर छोटे-बड़े स्टेशनों को भी लैस किया जाएगा. खासकर गर्म प्रदेशों में जहां लू और ऊमस का प्रकोप ज्यादा दिनों तक रहता है.

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन नई दिल्ली रेलवे स्टेशन
स्‍वपनल सोनल/सिद्धार्थ तिवारी
  • नई दिल्ली,
  • 03 अगस्त 2016,
  • अपडेटेड 9:39 PM IST

बीते दिनों राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हुई झमाझम बारिश से तापमान में तो कमी आ गई, लेकिन मौसम में ऊमस अभी भी बरकरार है. नई दिल्ली स्टेशन पर चल रहा है महापंखा. रेलवे की सुविधा मुहिम अब महापंखे की हवा पर सवार है. नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के वेटिंग एरिया में अब यात्री पंखे के नीचे ही नहीं, बल्कि दूर-दूर तक इस महापंखे की हवा खा सकेंगे.

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जल्द ही इस नई सुविधा से हर छोटे-बड़े स्टेशनों को भी लैस किया जाएगा. खासकर गर्म प्रदेशों में जहां लू और ऊमस का प्रकोप ज्यादा दिनों तक रहता है. पुराने छोटे पंखे को मुंह चिढ़ा रहा है ये महापंखा. नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर जब छह पंखों वाला ये महापंखा चला तो ठंडी हवा के झोंके दूर-दूर तक महसूस किए गए. पंखे के नीचे लेटने के लिए होने वाली गरमा-गरम बहस और मारामारी अब खत्म हो गई. लोग शांत हैं क्योंकि दूर-दूर तक फैल कर बैठें या लेटें पंखे की ठंडक सबको मिल रही है.

महापंखे की कीमत है चार लाख रुपये
रेलवे ने नई दिल्ली और मुंबई सेंट्रल में ऐसे महापंखे लगाए हैं. इसकी छह पत्तियां 23.2 फुट लंबी हैं. यानी साढ़े छियालीस फुट का दायरा तो सिर्फ डैनों का है. फिर जब ये घूमता है तो ठंडक और तरावट वाली हवा दूर तक जाती है. अब जैसा काम वैसा ही दाम भी. तो इस महापंखे की कीमत है तकरीबन चार लाख रुपये. मूर्ति जितनी बड़ी है, भोग प्रसाद भी उतना ही. इस महापंखा में बिजली की खपत है डेढ़ किलोवाट.

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अगर रेलवे का प्रयास सफल रहा तो जल्दी ही दूसरे छोटे-बड़े स्टेशनों पर भी ऐसे महापंखे लगा सकते हैं. हो सकता है कि बढ़ती बिजली खपत के मद्देनजर ये विशालकाय पंखे निकट भविष्य में सोलर पावर से ही चलने लगें.

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