
केजरीवाल सरकार ने दिल्ली परिवहन निगम की 3 हजार से ज्यादा बसों में सीसीटीवी कैमरा लगाने का ऐलान तो कर दिया था लेकिन सरकार अब तक सीसीटीवी लगाने का फंड जारी नहीं कर पाई है. महिलाओं की सुरक्षा को देखते हुए ये फैसला लिया गया लेकिन 200 बसों में पायलेट प्रोजेक्ट के आगे मामला बढ़ नहीं सका है.
हाई अलर्ट पर दिल्ली लेकिन कहां है CCTV
पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक के बाद देश की राजधानी हाई अलर्ट पर है. शहर की ऐतिहासिक इमारतों के साथ-साथ भीड़ वाली जगहों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. ऐसे में बसों में सीसीटीवी किसी भी अनहोनी या संदिग्ध को कैमरे में कैद करने के लिए एक बड़ा हथियार बन सकता है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि महिला सुरक्षा को लेकर बड़े-बड़े दावे करने वाली केजरीवाल सरकार सीसीटीवी का फंड जारी क्यों नहीं कर पाई है?
मोदी सरकार पर निशाना लेकिन अपने वादे भूले
आम आदमी पार्टी ने सत्ता में आने के बाद से ही महिला सुरक्षा की जिम्मेदारी से पूरी तरह हाथ पीछे खींच लिए हैं. शहर की बिगड़ती कानून व्यवस्था पर मंत्री और विधायक सीधे मोदी सरकार पर निशाना साधते हैं लेकिन ऐसा लगता है कि केजरीवाल सरकार अपने किए वादों को पूरी तरह भूल गए है.
मंत्री जी ने कहा- काम कर रही है सरकार
दिल्ली के परिवहन मंत्री सत्येन्द्र जैन से जब बसों में सीसीटीवी लगाने के लिए फंड न देने का सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, 'सीसीटीवी के ऊपर काम चल रहा है. जल्द ही टेंडर दिए जाएंगे. फंड की कोई प्रॉब्लम नहीं है. और सीसीटीवी पर पहले फैसले नहीं हो रहे थे लेकिन सरकार अब इस पर काम रही है.'
प्रोजेक्ट के नाम पर वाहवाही लूट चुकी है सरकार
हालांकि हैरानी कि बात है कि सरकार बसों में सीसीटीवी लगाने की योजना को बड़ी पहल बताकर अखबारों में वाहवाही लूटी चुकी है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. सरकार ने सीसीटीवी के प्रोजेक्ट को पिछले साल नवंबर में ही अनुमति दे दी थी.
निर्भया कांड के बाद हुए थे कई फैसले
प्रस्ताव के वक्त प्रोजेक्ट की लागत लगभग 103 करोड़ रुपए थी और ये फंड 'निर्भया' से लिया जाना था लेकिन अब तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया जा सका है. 2014 में डीटीसी बसों में सीसीटीवी लगाने के लिए 3 करोड़ 91 लाख रुपए खर्च हुए थे. आपको बता दें कि डीटीसी की 4 हजार से ज्यादा बसों में इलेक्ट्रॉनिक मशीन और वाईफाई भी लगने हैं. ये तमाम फैसले देश की राजधानी में हुए निर्भया कांड के बाद लिए गए थे.