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AAP के विधायकों की सदस्यता रद्द होना तय: मीनाक्षी लेखी

मीनाक्षी लेखी ने कहा कि हाईकोर्ट के सामने संसदीय सचिवों की नियुक्ति को चुनौती दी गई थी और कोर्ट ने इस पर अपना फैसला सुनाया है, जिसमें नियुक्तियों को अवैध पाया गया है. लेकिन सदस्यता रद्द किए जाने का मामला चुनाव आयोग के सामने है और इस बारे में चुनाव आयोग अपना फैसला करेगा, लेकिन वहां भी इन सभी विधायकों की सदस्यता रदद् होना तय है.

मीनाक्षी लेखी मीनाक्षी लेखी
प्रियंका झा/कपिल शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 08 सितंबर 2016,
  • अपडेटेड 12:36 PM IST

बीजेपी की सांसद और राष्ट्रीय प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी ने कहा है कि हाईकोर्ट के फैसले से साफ हो गया है कि 21 संसदीय सचिवों की नियुक्ति गलत थी और अब इन सभी 21 विधायकों की सदस्यता रद्द होना भी तय है.

मीनाक्षी लेखी ने कहा कि हाईकोर्ट के सामने संसदीय सचिवों की नियुक्ति को चुनौती दी गई थी और कोर्ट ने इस पर अपना फैसला सुनाया है, जिसमें नियुक्तियों को अवैध पाया गया है. लेकिन सदस्यता रद्द किए जाने का मामला चुनाव आयोग के सामने है और इस बारे में चुनाव आयोग अपना फैसला करेगा, लेकिन वहां भी इन सभी विधायकों की सदस्यता रदद् होना तय है.

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'कानून ताक पर रखा गया'
मीनाक्षी लेखी ने कहा कि दिल्ली के कानून में केवल एक ही संसदीय सचिव का प्रावधान है और ये प्रावधान सिर्फ मुख्यमंत्री के संसदीय सचिव के लिए है, लेकिन कानून को ताक पर रखकर दिल्ली सरकार ने मंत्रीयों के यहां 21 संसदीय सचिवों की नियुक्ति कर दी. मीनाक्षी लेखी ने दावा किया है कि सभी विधायकों की सदस्यता रद्द होना तय है क्योंकि ये पद ही ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के दायरे में आता है, भले ही पर्क और सुविधाएं ली हों या नहीं.

'दिल्ली सरकार ने दी गलत जानकारी'
मीनाक्षी लेखी ने कहा कि दिल्ली सरकार ने संसदीय सचिवों को दी जा रही सुविधाओं और पर्क के बारे में झूठी जानकारी दी है. क्योंकि तमाम कागजात से ये साफ हो चुका है कि दिल्ली में जो संसदीय सचिव बनाए गए थे, उन्हें क्या सुविधाएं दी गई हैं.

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बता दें कि विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने भी कहा है कि चुनाव आयोग ने संसदीय सचिवों के बारे में दिल्ली सरकार से जो जानकारी मांगी थी उसे देने में सरकार न सिर्फ जानबूझकर देरी की है, बल्कि दिल्ली सरकार द्वारा दी गई जानकारी भ्रामक भी है. गुप्ता ने दावा किया है कि दिल्ली सरकार ने चुनाव आयोग को बताया है कि जब संसदीय सचिवों की नियुक्ति की गई थी, उसके अगले दिन ही फैसले को होल्ड पर डाल दिया गया था, जबकि यह गलत है. क्योंकि इसके बाद सभी संसदीय सचिवों को दफ्तर उपलब्ध कराए गए, उनमें पूरा फर्नीचर बनवाया गया और इन सचिवों ने इन दफ्तरों में बैठकर महीनों तक काम भी किया.

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