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क्या कपिल मिश्रा को मिली कुमार पर 'विश्वास' की सजा?

विधानसभा चुनाव में जीत के बाद संस्कृत में शपथ लेने वाले कपिल मिश्रा को आम आदमी पार्टी के उन नेताओं में गिना जाता है जिनका झुकाव दक्षिणपंथ की ओर है. खुद कुमार विश्वास का शुमार भी इसी कतार के नेताओं में होता है.

क्यों गई कपिल मिश्रा की कुर्सी? क्यों गई कपिल मिश्रा की कुर्सी?
अमित कुमार दुबे
  • नई दिल्ली,
  • 06 मई 2017,
  • अपडेटेड 9:19 PM IST

आम आदमी पार्टी के सियासी घमासान में ताजा शिकार मंत्री कपिल मिश्रा हुए हैं. मंत्री पद से उनकी छुट्टी पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए भले ही हैरानी भरी हो लेकिन कई सियासी पंडितों के लिए ये चौंकाने वाली खबर नहीं है. एक नजर उन वजहों पर जो मिश्रा पर इस कार्रवाई के पीछे रही हो सकती हैं.

कुमार पर 'विश्वास' का खामियाजा?
विधानसभा चुनाव में जीत के बाद संस्कृत में शपथ लेने वाले कपिल मिश्रा को आम आदमी पार्टी के उन नेताओं में गिना जाता है जिनका झुकाव दक्षिणपंथ की ओर है. खुद कुमार विश्वास का शुमार भी इसी कतार के नेताओं में होता है. दोनों नेताओं में नजदीकियों की यही इकलौती बानगी नहीं है. विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद कुमार विश्वास ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ सवालों भरा वीडियो जारी किया तो कपिल मिश्रा उनके समर्थन में उतरने वाले पार्टी के सबसे पहले नेताओं में से एक थे. उनका दावा था कि कुमार विश्वास जो कह रहे हैं दरअसल वहीं केजरीवाल का भी मानना है.

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बड़े बदलावों की हिमायत की सजा?
कपिल मिश्रा ने पार्टी के भीतर एमसीडी चुनाव में हार की जिम्मेदारी तय करने के मामले में भी कुमार विश्वास के साथ सुर में सुर मिलाए थे. आजतक के साथ खास बातचीत में उनका दावा था कि आम आदमी पार्टी के सभी विधायक, मंत्री और कार्यकर्ता पार्टी में आमूल-चूल परिवर्तन चाहते हैं. उन्होंने यहां तक कहा कि हार के लिए जिम्मेदार नेताओं को घर बैठना चाहिए. जाहिर है इस बयान में उनका इशारा उन नेताओं की ओर था जिनके हाथ में फिलहाल पार्टी की कमान है. इतना ही नहीं, कपिल मिश्रा ने कहा था कि कुमार विश्वास से पंजाब और दिल्ली में प्रचार ना करवाने की वजहों की भी समीक्षा की जाएगी.

दो धड़ों में संतुलन की कवायद?
हाल ही में जामियानगर से पार्टी विधायक अमानतुल्ला खान ने कुमार विश्वास पर बीजेपी के साथ मिलकर पार्टी को तोड़ने की साजिश का आरोप लगाया था. इससे भड़के कुमार विश्वास ने पार्टी नेताओं के सामने नाराजगी जाहिर करने में कोई कोताही नहीं बरती. नतीजतन अमानतुल्ला को पार्टी से निलंबित करने का फरमान जारी हुआ. लेकिन साथ ही पार्टी ने एक मुस्लिम चेहरे के खिलाफ कार्रवाई से होने वाले नुकसान की भरपाई की फिक्र भी शुरू कर दी. यही वजह थी कि निलंबन के बाद अमानतुल्ला को विधानसभा की 7 कमेटियों में जगह दी गई जबकि विश्वास के करीबी माने जाने वाले कई विधायकों का कद घटा दिया गया. हो सकता है कि कपिल मिश्रा के खिलाफ कार्रवाई भी केजरीवाल की संतुलन की इसी सियासत का हिस्सा हो.

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