
दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के कर्मचारियों की हड़ताल के बीच मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल रविवार को दिल्ली वापस लौटेंगे. एमसीडी कर्मचारियों की हड़ताल 12वें दिन भी जारी है.
इलाज कराने बंगलुरु गए थे केजरीवाल
केजरीवाल इलाज के लिए 27 जनवरी को बंगलुरु के जिंदल नेचरक्योर इंस्टीट्यूट गए थे. लेकिन दिल्ली में एमसीडी कर्मचारियों की हड़ताल ने उन्हें बंगलुरु में भी चैन
नहीं लेने दिया और उन्हें वहां इस मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस भी करनी पड़ी थी.
सफाई कर्मचारी हड़ताल खत्म करने को राजी नहीं
दिल्ली लौटते ही केजरीवाल की पहली प्राथमिकता एमसीडी कर्मचारियों की हड़ताल को खत्म कराना होगी. केजरीवाल के तमाम आश्वासना के बावजूद एमसीडी के सफाई
कर्मचारी हड़ताल खत्म को राजी नहीं है. नगर निगम के अधिकारियों ने शनिवार को दावा किया था कि सफाईकर्मियों को छोड़कर तीनों नगर निगमों के अन्य कर्मचारियों
ने हड़ताल समाप्त कर दी है, लेकिन सफाई कर्मचारी संगठनों ने अपनी हड़ताल समाप्त करने से इनकार करते हुए कहा था कि वे अदालत से अपनी समस्याओं के स्थायी
समाधान की गुहार लगाएंगे.
केजरीवाल के खिलाफ उनके दावों को लेकर शिकायत दर्ज
केजरीवाल के दिल्ली लौटने से पहले ही शनिवार को दिल्ली की एक अदालत में उनके खिलाफ एक आपराधिक शिकायत दायर कर उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की
मांग की गई. याचिका में आरोप लगाया है कि केजरीवाल ने दिल्ली की जनता को यह कहकर गुमराह किया है कि नगर निगम दिल्ली सरकार के नियंत्रण में नहीं
है.
10 फरवरी को होगी याचिका पर सुनवाई
स्वराज जनता पार्टी के शिकायतकर्ता बृजेश शुक्ला ने उत्तर पूर्वी दिल्ली के करावल नगर थाने के थाना प्रभारी को केजरीवाल के खिलाफ आईपीसी की धारा 406
(आपराधिक विश्वास हनन) को लेकर एक प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की. यह याचिका कड़कड़डूमा अदालत में दायर की गई है. यह याचिका 10 फरवरी
को अदालत के समक्ष सुनवाई के लिए आएगी.
याचिका में केजरीवाल के विज्ञापन को बनाया आधार
शुक्ला ने दावा किया है कि केजरीवाल ने पिछले साल अक्टूबर में समाचार पत्रों में पूरे पन्ने का विज्ञापन दिया था जिसमें कहा गया था कि एमसीडी कर्मचारियों की
हड़ताल के संबंध में गलतफहमी है और वह इस बात को साफ करना चाहते हैं कि यह कहना गलत होगा कि निगम दिल्ली सरकार के अंतर्गत आते हैं.