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फिर हड़ताल पर सफाई कर्मचारी, उत्तरी दिल्ली में लगा कूड़े का ढेर

सफाई कर्मचारियों की हड़ताल के चलते उत्तरी दिल्ली के अजमेरी गेट इलाके में कूड़े का पहाड़ खड़ा हो गया है. हालात ये हैं कि कूड़ा ढलाव घर से निकलकर सड़क पर बिखर गया है. यहां एमसीडी ने अपने दूसरे स्टाफ के जरिए कूड़ा उठाने की कोशिश की तो सफाई कर्मचारियों ने उन्हें भी काम करने से रोक दिया.

प्रदर्शन करते सफाई कर्मचारी प्रदर्शन करते सफाई कर्मचारी
परमीता शर्मा/रवीश पाल सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 03 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 7:35 PM IST

दिल्ली में सफाई कर्मचारियों की हड़ताल का आज दूसरा दिन है. सफाई कर्मचारियों ने मंगलवार को संसद घेराव की योजना बनाई हालांकि पुलिस ने प्रदर्शनकारी सफाई कर्मचारियों को रणजीत सिंह फ्लाईओवर के पास ही रोक लिया. सफाई कर्मचारियों की हड़ताल के चलते उत्तरी दिल्ली के कई इलाकों में कूड़े के ढेर लग गए हैं.

सफाई कर्मचारियों की हड़ताल के चलते उत्तरी दिल्ली के अजमेरी गेट इलाके में कूड़े का पहाड़ खड़ा हो गया है. हालात ये हैं कि कूड़ा ढलाव घर से निकलकर सड़क पर बिखर गया है. यहां एमसीडी ने अपने दूसरे स्टाफ के जरिए कूड़ा उठाने की कोशिश की तो सफाई कर्मचारियों ने उन्हें भी काम करने से रोक दिया. इन लोगों ने बताया कि सफाई कर्मचारियों ने इन्हें जेसीबी जलाने की धमकी. उन्होंने बताया कि उनपर तेजाब डालने की भी कोशिश की गई जिसके कारण उन्होंने कूड़ा नहीं उठाया.

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इस मामले में अब राजनीति भी शुरू हो गई है. सफाई कर्मचारियों की हड़ताल के लिए एमसीडी ने दिल्ली सरकार को जिम्मेदार बताया है. एमसीडी का कहना है कि दिल्ली सरकार जानबूझकर एमसीडी का बकाया फंड नहीं दे रही है. एमसीडी के मुताबिक दिल्ली सरकार पर नॉर्थ एमसीडी के करीब 2421 करोड़ रुपए बकाया हैं जिसमें से 454 करोड़ रुपए सफाई कर्मचारियों के लिए हैं. नॉर्थ एमसीडी में कर्मचारियों को हर महीने 54 करोड़ रुपए की सैलरी दी जाती है. विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने भी कर्मचारियों की हड़ताल के लिए दिल्ली सरकार को दोषी माना है.

विजेंदर गुप्ता ने केजरीवाल सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि केजरीवाल सरकार ने अब तक एमसीडी को उसका बकाया फंड नहीं दिया और ना ही चौथे और पांचवें वित्त आयोग को लागू किया है. इन आयोगों के लागू होने पर दिल्ली सरकार को एमसीडी को उसका फंड देना पड़ेगा इसलिए जानबूझकर ऐसा किया जा रहा है. हड़ताल के लिए एमसीडी और दिल्ली सरकार एक दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं लेकिन इस राजनीति का खामियाजा सफाई कर्मचारियों के साथ-साथ दिल्ली की जनता को भुगतना पड़ रहा है.

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बता दें कि सफाई कर्मचारी अपनी मांगों को मनवाने के लिए हड़ताल पर हैं जिसके चलते उत्तरी दिल्ली के ज्यादातर इलाकों में सफाई व्यवस्था चरमरा गई है. सफाई कर्मचारियों का कहना है कि सालों से उनसे काम लिया जा रहा है लेकिन उन्हें नियमित नहीं किया गया है जबकि हर बार चुनाव से पहले उनसे नियमित किया जाने का वादा किया जाता है. कर्मचारियों की मांग है कि जिन सफाई कर्मचारियों को नियमित कर दिया गया है उनका भी सालों से बकाया है. इसके अलावा सफाई कर्मचारियों की एक और मांग है कि जिस तरह के हालातों में उन्हें काम करना पड़ता है उसमें वो कई बार बीमार पड़ जाते हैं और ऐसे में उन्हें कैशलेस मेडिकल कार्ड के अलावा अन्य मेडिकल सुविधा दी जाएं ताकि बीमार पड़ने पर वो ठीक तरह से अपना इलाज करवा सकें.

कहां- कहां दिखा हड़ताल का असर

सफाई कर्मचारियों की हड़ताल का असर उत्तरी दिल्ली में खासतौर पर देखा जा रहा है. उत्तरी दिल्ली के करोल बाग, पटेल नगर, अजमेरी गेट, शकूरपूर, रोहिणी, शादीपुर, मोती नगर, कर्मपुरा, आनंद पार्वत, सराय रोहिल्ला समेत कई इलाकों में देखने को मिला जहां मंगलवार को हड़ताल के चलते कूड़े के बड़े-बड़े ढेर देखने को मिले.

बुधवार को सफाई कर्मचारियों की यूनियन के साथ होगी बैठक

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नॉर्थ एमसीडी में स्थाई समिति अध्यक्ष तिलकराज कटारिया ने बताया कि उन्होंने बुधवार को सफाई कर्मचारियों की यूनियन के साथ बैठक बुलाई है जिसमें उनकी मांगों पर बात की जाएगी. कटारिया ने मंगलवार को सफाई कर्मचारियों से हड़ताल खत्म कर वापस काम पर लौटने की अपील भी की.

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