
राजधानी दिल्ली में पटेल चेस्ट के इलाके से होकर गुजर रहे नजफगढ़ ड्रेन में कूड़े का स्तर लगातार बढ़ रहा है. 'आजतक' ने रियलिटी चेक के दौरान अपने कैमरे में कूड़े के ढेर को कैद किया जो हल्की सी बारिश के बाद नाले को जाम करने के लिए काफी है.
इलाकों के लोगों ने बताया कि सरकारी एजेंसियां नाले की साफ-सफाई करने नहीं आती हैं. जिस वजह से इलाके में गंदगी और बदबू का माहौल बना रहता है. ड्रेन में गंदगी से हाल इतना बुरा है कि इलाके में बच्चों को बीमारी का शिकार होना पड़ता है. नाले से सटे पटेल चेस्ट में न सिर्फ कूड़े से लोग परेशान हैं बल्कि यहां शौचालय बने होने से लोगों में बड़ी नाराजगी है.
रियलिटी चेक के दौरान जब हमारी टीम ने कॉलोनी का दौरा किया तो एमसीडी के शौचालय में गंदगी, कबाड़ और मलबा फैला नजर आया. हैरानी की बात है कि स्वच्छ भारत जैसे कार्यक्रम के बावजूद यहां लोग शौचालय एमसीडी का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं. कॉलोनी के लोगों ने शौचालय की साफ-सफाई को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया है.
क्या कहते हैं लोग...
- पटेल चेस्ट की एक कॉलोनी में रहने वाली सरिफा बेगम ने बताया कि साफ सफाई कर लिए मशीनें बहुत कम आती हैं और जब आती हैं तब आधा अधूरा काम करके चले जाती हैं. बारिश के बाद नाले में जानवर भी अटक जाता है लेकिन सफाई नहीं होती है. कई बार शिकायत की गई लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है. बच्चों को सांस लेने में दिक्कत होती है.
- पेशे से शिक्षक अनिल भाटी ने बताया कि यहां की एजेंसी को स्वच्छ भारत की चिंता तक नहीं है. यहां झाडू वाला नहीं आता है, न कूड़ादान है, न शौचालय में सफाई है. अनिल ने बताया कि बच्चों को अक्सर वायरल फीवर की शिकायत रहती है.
- स्टेशनरी का काम करने वाले तौकीर ने बताया कि गंदगी से सबसे ज्यादा परेशानी बच्चों को होती है. तौकीर का कहना है कि यहां के नेता चुनाव के वक्त वोट के लिए विनती करते हैं लेकिन जीतने के बाद गायब हो जाते हैं. तौकीर ने बताया कि कॉलोनी में एक एमसीडी का शौचालय है लेकिन यहां कई सालों से कूड़ा भरा हुआ है लेकिन एमसीडी कोई सफाई नहीं करती है.
- मिस पीटर ने बताया कि वो कई सालों से यहां रह रही हैं लेकिन शौचालय बंद पड़ा है. चुनाव के वक्त राजनीतिक दल भीड़ इकट्ठे कर लेते हैं लेकिन उसके बाद कोई नहीं आता. सरकार कुछ नहीं कर रही है, कोई सुनवाई नहीं है.