
पूर्वी दिल्ली के गांधीनगर के निगम स्कूल में पढ़ाने वाली विभा बीते 3 महीनों से स्कूल की छुट्टी होने के बाद पटपड़गंज के नगर निगम मुख्यालय के चक्कर काट रही हैं. सोमवार को उन्होंने सैकड़ों शिक्षकों के साथ मिलकर उपराज्यपाल के दफ्तर पर प्रदर्शन भी किया और मंगलवार को फिर अपनी सैलरी की स्थिति जानने आई थीं. दरअसल पूर्वी दिल्ली नगर निगम से जुड़े स्कूलों के शिक्षकों को बीते 3 महीने और उत्तरी दिल्ली के शिक्षकों को बीते 2 महीने से सैलरी नहीं मिली है. अब कई ऐसे परिवार हैं, जिन्हें अपने घर का खर्चा चलाना मुश्किल पड़ रहा है.
विभा कहती हैं कि अब यह रोज का हो गया है. तीन चार महीने सैलरी नहीं आती है फिर हाईकोर्ट की फटकार लगती है तो 1 महीने की सैलरी दे दी जाती है. इसके बाद फिर से स्थिति वैसी ही हो जाती है.
लेकिन ये स्थिति केवल शिक्षकों या कर्मचारियों तक ही सीमित नहीं है. पूर्वी दिल्ली नगर निगम के मुख्यालय में हमें दो दर्जन से ज्यादा ऐसे लोग मिले जो अपनी पेमेंट लेने के लिए बीते 2 साल से यहां भटक रहे हैं. यह लोग बता रहे हैं कि इनके ट्रैक्टर पूर्वी दिल्ली नगर निगम से अटैच हैं.
ट्रैक्टर के जरिए कूड़ा उठवाया जाता है, लेकिन 23 महीने से इन्हें इनके काम की पेमेंट नहीं हुई है. यह कहते हैं कि यह कैसा स्वच्छ भारत अभियान है, जब देश की राजधानी दिल्ली में ही गंदगी उठाने के बदले उनकी पेमेंट नहीं की जा रही है.
यह लोग यहां आज भी अपनी फरियाद लेकर आए, लेकिन पता चला कि मेयर साहिबा पार्टी के काम की बैठक में व्यस्त हैं तो नहीं आएंगी. इस लिए सब वापस अपने घर चले गए.
हजारों करोड़ के बजट वाले इन निगमों में जबरदस्त भ्रष्टाचार की वजह से फंड की कमी हो रही है. बड़े अधिकारी और नेता तो मजे से अपना काम चला रहे हैं, लेकिन आम कर्मचारी को अपने घर का राशन भी जुटाना मुश्किल हो रहा है.