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AAP में मंत्री-विधायक बनने से सोना नहीं मिलता: सोमनाथ भारती

हाइकोर्ट में 20 विधायकों को कानूनी समर्थन देने पहुंचे सोमनाथ भारती से जब पूछा गया कि क्या उन्हें दिल्ली सरकार में दोबारा कानून मंत्री की ज़िम्मेदारी मिल सकती है. इसके जवाब में भारती दिलचस्प जवाब देते नज़र आए.

सोमनाथ भारती (फाइल) सोमनाथ भारती (फाइल)
रणविजय सिंह/पंकज जैन
  • नई द‍िल्ली,
  • 24 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 12:16 PM IST

दिल्ली की सत्ता में आम आदमी पार्टी बड़े नुकसान की तरफ बढ़ रही है. जहां आला नेताओं को 20 सीटों पर चुनाव की चिंता सता रही है तो पार्टी के अन्य विधायक मंत्री पद या विधायक की अजीब परिभाषा तय करने में जुट गए हैं. 49 दिनों की सरकार के दौरान केजरीवाल सरकार में कानून मंत्री रहे सोमनाथ भारती का कहना है कि 'आप' में मंत्री, विधायक या संसदीय सचिव बनकर सोना नहीं मिल रहा है.

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हाइकोर्ट में 20 विधायकों को कानूनी समर्थन देने पहुंचे सोमनाथ भारती से जब पूछा गया कि क्या उन्हें दिल्ली सरकार में दोबारा कानून मंत्री की ज़िम्मेदारी मिल सकती है. इसके जवाब में भारती दिलचस्प जवाब देते नज़र आए. उन्होंने कहा कि, "पार्टी जिस विधायक को दायित्व देती है उसे निभाया जाता है. हाइकोर्ट में अपने साथियों के साथ खड़े होने आया हूं. वकील होने के नाते दायित्व बनता है कि पार्टी को जब भी कानूनी लड़ाई या सलाह की ज़रूरत हो तो वहां मैं खड़ा रहूं."

बता दें, सदस्यता गंवाने वाले 20 विधायकों में एक मंत्री भी शामिल हैं. ज़िम्मेदारी के सवाल पर सोमनाथ भारती आगे कहते हैं कि, "इस पार्टी में भैया, न मंत्री बनकर सोना मिल रहा है और न संसदीय सचिव बनकर सोना मिल रहा है और न विधायक बनकर सोना मिल रहा है. आम आदमी पार्टी में घिस-घिसकर काम करना होता है. इस पार्टी में कोई विधायक या सांसद का सपना नहीं देखता. ये चकाचौंध बीजेपी और कांग्रेस में होती है. आम आदमी पार्टी में चकाचौंध नहीं है."

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हालांकि खुद वकील होने के नाते आम आदमी पार्टी के विधायक सोमनाथ भारती को भरोसा है कि उन्हें कोर्ट से राहत मिलेगी. भारती का कहना है कि 'न्याय के लिए हाइकोर्ट, डबल बेंच और फिर सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे. आम आदमी पार्टी को विश्वास है कि चुनाव आयोग की हरकत को सुप्रीम कोर्ट या हाइकोर्ट नज़रअंदाज़ नहीं करेगी. पिछले 3 साल से सुन रहे हैं कि दिल्ली सरकार का ऑर्डर तब तक मान्य नहीं होगा जबतक एलजी साहब साइन न कर दें. संसदीय सचिव के ऑर्डर पर एलजी साहब ने साइन नहीं किया था."

सोमनाथ भारती से जब नियुक्तियों करने के बाद कानून बनाने का सवाल पूछा, तो वो यह दावा कर बैठे कि 20 विधायकों को कभी संसदीय सचिव नियुक्त किया ही नहीं गया. भारती के मुताबिक आधे अधूरे ऑर्डर पर मामला बनाकर 20 विधायकों को अयोग्य करार दे दिया गया.

सोमनाथ भारती से पद का लाभ लेने पर सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि "न गाड़ी ली, न बंगला, न दफ़्तर और न एक पेन लिया है तो प्रॉफिट कैसे हुआ. विधानसभा के अंदर स्पीकर महोदय ने रखरखाव पर खर्चा किया था, जो उनका हक है. आधिकारिक तौर पर विधायकों को कोई दफ़्तर नहीं मिला था, लेकिन मेज और कुर्सी को अगर दफ़्तर कहते हैं जिसके इस्तेमाल से जनता के लिए काम किया जाए तो इसमें हानि क्या है."

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आम आदमी पार्टी के विधायक सोमनाथ भारती का मानना है कि हाइकोर्ट एक संवैधानिक संस्था है और इस संस्था से न्याय मिलने की उम्मीद इसलिए है क्योंकि संसदीय सचिव की नियुक्ति पर हाइकोर्ट ने ही रोक लगा दी थी.

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