
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि मॉनिटरिंग कमेटी ही तय करेगी कि दिल्ली के रिहायशी और व्यावसायिक इलाकों में कौन-सी सम्पत्ति की सील खोली जाय. इसी कोर्ट ने एक और मामले में दिल्ली सरकार से ये हलफ़नामा दायर कर ये अंडरटेकिंग देने को कहा है कि आइंदा राजधानी में अवैध निर्माण नहीं होने दिया जाएगा.
जस्टिस मदन बी लोकुर की पीठ ने कहा कि सदियों से बाहरी आक्रांताओं के हाथों लुटती-पिटती दिल्ली पिछले कुछ दशकों से अपने ही लोगों के हाथों बर्बाद हो रही है. लोग मनमाने ढंग से अतिक्रमण कर राजधानी का सत्यानाश कर रहे हैं.
जस्टिस लोकुर ने अपने आदेश में कहा कि किसी को भी ये लगता है कि उनकी रिहायशी या व्यावसायिक सम्पत्ति गलत ढंग से सील की गई है या फिर अब लैंडयूज बदल गया है, तो मॉनिटरिंग कमेटी के पास जाकर एक लाख रुपये जमाकर सुधार की अपील कर सकते हैं, बजाय कोर्ट या ट्रिब्यूनल के चक्कर लगाने के. अगर मॉनिटरिंग कमेटी संतोषजनक हल नहीं निकाले तो कोर्ट आ सकते हैं.
गौरतलबल है कि अवैध निर्माण को लेकर दिल्ली में समय-समय पर सख्त रवैया अख्तियार किया जाता रहा है. अवैध निर्माण पर कोर्ट से कई बार फटकार पा चुकी नॉर्थ एमसीडी अक्टूबर-नवंबर के दौरान 640 अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई की है. बिल्डिंग विभाग ने अक्टूबर और नवंबर के दौरान अवैध रूप से बनाई जा रहे 231 संपत्तियों को डिमोलिश करने के आदेश भी जारी कर दिए हैं.