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दिल्ली में जानलेवा बना चिकनगुनिया, अब तक 5 की मौत

एम्स के डॉक्टर भी मान रहे हैं कि ये महामारी है. लेकिन दिल्ली के स्वास्थय मंत्री तो मानने को तैयार नहीं है कि चिकनगुनिया बीमारी भी है.

सत्येंद्र जैन सत्येंद्र जैन
रोशनी ठोकने
  • नई दिल्ली,
  • 14 सितंबर 2016,
  • अपडेटेड 8:25 AM IST

अब तक डेंगू का कहर झेल रही दिल्ली के लिए चिकनगुनिया एक नया विलेन बनकर सामने आया है. जिस चिकनगुनिया को डॉक्टर अब तक डेंगू से कम खतरनाक बताते रहे हैं, वही चिकनगुनिया अब अचानक जानलेवा बीमारी की शक्ल अख्तियार कर चुका है. सर गंगा राम अस्पताल से जब चिकनगुनिया से पहली मौत की खबर आई तो जनता के साथ-साथ डॉक्टर भी हैरान थे. ये समझना मुश्किल था कि आखिर मच्छरों से होने वाली ये बीमारी अचानक इतनी खतरनाक कैसे हो गई.

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डॉक्टरों का मानना- चिकनगुनिया जानलेवा नहीं
इससे पहले कि डॉक्टर और स्वास्थ्य विभाग हालात का ठीक-ठीक अंदाजा लगा पाते, चिकनगुनिया ने एक के बाद एक मरीजों को शिकार बनाना शुरू कर दिया. मंगलवार शाम तक देश की राजधानी में चिकनगुनिया से होने वाली मौतों का आंकड़ा पांच तक पहुंच गया. इनमें से चार मौतें तो सिर्फ सर गंगा राम अस्पताल में हुई थीं. सर गंगा राम अस्पताल के अलावा हिंदू राव अस्पताल में भी एक मरीज ने चिकनगुनिया की वजह से दम तोड़ दिया. हालांकि डॉक्टरों का मानना है कि चिकनगुनिया अकेले इतना खतरनाक नहीं होता. लेकिन अगर मरीज को डायबिटी, अस्थमा या दिल की बीमारी पहले से हो तो ऐसे मरीजों के लिए चिकनगुनिया जानलेवा बन सकता है.

एम्स के डॉक्टर भी मान रहे हैं कि ये महामारी है. लेकिन दिल्ली के स्वास्थय मंत्री तो मानने को तैयार नहीं है कि चिकनगुनिया बीमारी भी है. डॉक्टर से ज्यादा मंत्री महोदय को पावर है तो वह कुछ भी बोल सकते है. ये अलग बात है कि आर्टिटेक्ट की पढाई कर स्वास्थ्य मंत्री बने सत्येन्द्र जैन खुद को डॉक्टर भी मानने लगे हैं. लेकिन सवाल मंत्री के बडबोलेपन का नहीं है, सवाल चिकनगुनिया से हुई इन पांच मौतों का है.

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हर जगह बढ़े मामले
ये सवाल हर जहन में उठ सकता है कि पहली मौत 1 सितबंर को हुई तो क्या इस बीते 12 दिनों में और भी मौतें हुई होंगी जिनकी पुष्टी अभी तक नहीं हुई है, क्योंकि एक तरफ एमसीडी के आंकडे कह रहे हैं कि दिल्ली में अब तक चिकनगुनिया के 1724 मामले आए हैं, जबकि सच ये है कि देश के सबसे बड़े अस्पताल एम्स में ही आने वाले कुल मामलों में चिकनगुनिया के 60 फीसदी मामले हैं. एम्स में चिकनगुनिया के 1360 मामले हैं, जबकि अपोलो में 775, सफदरजंग में 531, आरएमएल में 375, बीएल कपूर में 145, बाडा हिंदू राव में 82 और गंगाराम में 65 मामले हैं.

हवाई दावे करने का दौर जारी
यानि की अपोलो अस्पताल से लेकर सफदरजंग आरएमएल समेत तमाम अस्पतालों में चिकनगुनिया के सैकडों पॉजेटिव केस पाए गए हैं. आंकडो के लिहाज से समझे तो 3300 से ज्यादा मामले राजधानी के सिर्फ सात बड़े अस्पतालों में सामने आए हैं. छोटे-बड़े सारे अस्पतालों का कुल आंकड़ा कहीं ज्यादा है. लेकिन विडंबना देखिए कि न मौतों का कोई जिम्मेदार है और न फैलते रोग की जिम्मेदारी किसी पर है. आरोपों का खेल जारी है, और हवाई दावे करने में किसी को परहेज नहीं.

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