
अब तक देश में गुजरात का विकास मॉडल लाने का ख्वाब दिखाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुजरात में विकास से आगे जातिवादी राजनीति ने इन दिनों सूबे की आनंदीबेन सरकार के सामने सवाल खड़ा कर दिया है. पहले पाटीदार आरक्षण आंदोलन और अब दलितकांड ने आनंदीबेन को गुजरात की मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने की बात को एक बार फिर से तूल दे दी है.
मुश्किल में राज्य और केंद्र सरकार
दरअसल दलितकांड में जिस तरह सख्त एक्शन लेने में आनंदीबेन सरकार नाकामयाब रही है, उसे देखते हुए सभी राजनीतिक पार्टियां खुद की दाल गलाने में लग गई हैं. इसकी शुरुआत बीएसपी की मायावती ने राज्यसभा में मुद्दे को उछाल कर, आनंदीबेन की लॉ एंड ऑर्डर पर ही सवाल खड़े कर दिए. वहीं इस पर ना सिर्फ राज्य सरकार, बल्की केंद्र सरकार के लिए भी जवाब देना काफी मुश्किल हो गया है.
सत्ताधारी पार्टी के लोग भी आनंदीबेन के खिलाफ
गुजरात में दलितों की स्थिति को लेकर एक बार फिर सूबे की सीएम आनंदीबेन पर सवाल खड़े हो गए. आनंदीबेन के खिलाफ विपक्ष ही नहीं, अब तो सत्ताधारी पार्टी के कुछ असंतुष्ट नेता भी इस मुद्दे को हवा दे रहे हैं. कोशिश यह कि इसे एक राजनीतिक संकट के तौर पर पेश किया जाए. जहां देखो वहां एक बड़े दलित नेता बनने की होड़ मची है कारण भी स्पष्ट है चुनाव नजदीक है.
पाटीदार आंदोलन से निपटने में भी नाकामयाब
आनंदीबेन पटेल के लिए दलितकांड से पहले पाटीदार आंदोलन एक बड़ा संकट बन कर आया था, जिससे अभी आंनदीबेन उभरी नहीं पायी थीं. पाटीदार आंदोलन के बाद ओम माथुर ने एक रिपोर्ट बीजेपी आलाकमान को सौंपी थी, जिसमें कहा गया था कि आनंदीबेन सरकार पाटीदार आंदोलन को रोकने में पूरी तरह नाकामयाब रही है. इतना ही नहीं आनंदीबेन के शासन में बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच अंदरूनी लड़ाई भी बढ़ी है. इस रिपोर्ट के बाद लगातार यह बात भी आई थी कि आंनदीबेन को गुजरात की मुख्यमंत्री पद से हटाया जा सकता है.
खुद की कैबिनेट के कई मंत्री खफा
आनंदीबेन के शासन के लिए ये भी बात आ रही है कि आनंदीबेन की सरकार में सबसे ज्यादा उनके बेटे-बेटी की चलती है, ऐसे में आनंदीबेन की खुद की कैबिनेट के
कई मंत्री आनंदीबेन से नाराज चल रहे हैं. यही वजह है कि अगर गुजरात में कोई आंदोलन होता है, तो मंत्री आंदोलन को रोकने में निष्क्रिय हो जाते हैं. ऐसे में ना कोई डैमेज कंट्रोल होता है और ना ही सभी तरह की सच्चाई सरकार के सामने रखी जाती है.
इस नवंबर 75 साल की हो जाएंगी आनंदीबेन
आनंदीबेन की उम्र को लेकर भी उनको सीएम पद से हटाए जाने की अटकलें बार-बार सामने आती हैं. दरअसल बीजेपी में ये कहा जाता है कि जो भी नेता 75 साल के होते हैं उन्हें बीजेपी के मार्गदर्शक मंडल में भेजा जाता है. हालांकि आनंदीबेन भी इस नवंबर 75 साल की हो रही हैं. ऐसे में कहा जा रहा है कि आनंदीबेन को हटाकर किसी राज्य का राज्यपाल बनाया जा सकता है या फिर उन्हें मार्गदर्शक मंडल में भेज दिया जाएगा. एक बार फिर दलित कांड के बाद गुजरात में फैली हिंसा को रोकने में नाकामयाब रही आनंदीबेन सरकार को हटाने की बात होने लगी है.