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हार्दिक पटेल छह महीने गुजरात से बाहर रहने के बाद आज वापस आ रहे हैं. अब सबकी नजर इस बात पर होगी कि क्या वह आरक्षण आंदोलन को दोबारा हवा दे पाएंगे...गुजरात में आगे उनकी क्या होगी रणनीति...इस बारे में आजतक की सवाददाता गोपी घांघर ने की हार्दिक पटेल से खास बातचीत...
हार्दिक, अब आपकी क्या प्लानिंग है?
प्लानिंग तो यही है कि गांव-गांव जाकर लोगो को जागृत करना है. आरक्षण की लड़ाई जो पिछले 18 महीने से लड़ी जा रही है उसको आगे बढ़ाना है. जाति के आधार पर जो लोगआरक्षण मांगते हैं, उन पर देशद्रोह के आरोप लगा दिए जाते हैं, युवाओं की हत्या करना, महिलाओं को मारना, ये सारी चीजें आंदोलन को दबाने की नीति के तहत हैं. भाजपा की तो जोड़-तोड़ की नीति ही है. 18 महीन के बाद हमने सभी तरह के दस्तावेज दिए हैं. अगर आप ओबीसी के तहत आरक्षण देना चाहते हैं, तो ये तो आप के वश की बात है. हमने राजस्थान, महाराष्ट्र, तमिलनाडु के दस्तावेज दिए हैं. हम उन लोगो के खिलाफ लड़ना चाहते हैं जो हमें दबाना चाहते हैं.
आप जेडीयू नेता नीतीश कुमार से मिले थे, क्या आपने प्रधानमंत्री से भी मिलने कि कोशिश की थी...
हमें गुजरात के किसी मंत्री या मुख्यमंत्री से मिलना हो तो नहीं मिलने दिया जाता. हम समाज के लिए कुछ मांग रहे हैं, वे जब बुलाएं, हम मिलने के लिये तैयार हैं, हमारे समाज पर जो अत्याचार हुआ है, अगर वे प्रायश्चित करना चाहते हैं तो हम तैयार हैं, लेकिन समाज को दबाने का प्रयास करेंगे तो हम उनके साथ बातचीत कैसे कर सकते हैं.
क्या इसके लिए प्रधानमंत्री जिम्मेदार हैं?
जब हमने पाटीदार के लिए आरक्षण आंदोलन शुरू किया तो वे अमेरिका में जाकर बोले थे कि पाटीदारों को न्याय दिलाएंगे. पिछले 20 साल से हमने भाजपा को सब कुछ दिया है, लेकिन जब हमें जरूरत पड़ी तो भाजपा ने हमें कुछ नही दिया. नरेंद्र मोदी जी के जरिए जानबूझ कर मुद्दे को दबाने का प्रयास हो रहा है. वे जानते हैं कि सही और गलत क्या है,
फिर भी वो बोल नही रहे हैं. वह संघ की विचारधारा पर अपनी सरकार चलाते हैं, वे खुद अपने न्याय के लिए यहां-वहां जाते हैं. मैं मानता हूं कि अगर इस आंदोलन का फैसला जल्द हो जाए तो हम भी अपने काम में लग जाएंगे.
क्या आप सक्रिय राजनीति में आएंगे?
अभी सिर्फ 22 साल का हूं, सीख रहा हूं, जिस दिन सीख जाऊंगा, उस दिन कुछ अच्छा करने के लिए राजनीति में आऊंगा. समाज को पहले कुछ करके दिखाऊंगा और जब समाज
कहेगा कि मुझे ये काम करना है, तब सोचूंगा.
अरविंद केजरीवाल ओर राहुल गांधी उमिया मंदिर पर गए थे. दोनो ही पाटीदारों को रिझाने में लगे हैं...
राजनीतिक दलों का तो काम ही यही है, लोगों को रिझाना, लेकिन समाज सब कुछ जानता है. साल 2015 के पंचायत के चुनाव में भी उन्हें अच्छी तरह से जवाब दिया था पूरे
समाज ने...अब बस समाज को ही तय करना है कि क्या करना है...
आनंदीबेन को इस्तीफा देना पड़ा...
मैं इसके लिए आधा आंदोलन को और आधा उनके काम करने के तरीके को जिम्मेदार मानता हूं. वह अपनी जवाबदारी से भटकीं और ओर अपनी जिम्मेदारी छोड़कर भागीं.
उनकी जिम्मेदारी बनती थी कि जो अत्याचारी हैं उनका दोष साबित कर उन पर कार्रवाई की जाए, लेकिन आज तक उन्होंने कुछ नहीं किया. समाज के तौर पर उनकी यह जिम्मेदारी थी कि कुछ कार्रवाई हो. अगर आप जनता के वफादार नहीं बन पाए तो जनता भी आपकी जरूरत नहीं समझती.
आनंदी सरकार और विजय रुपानी सरकार में क्या अंतर देखते हैं ?
आनंदीबेन पटेल नरेंद्र मोदी की रबर स्टाम्प थीं ओर विजय रुपानी अमित शाह के रबर स्टाम्प हैं. विजय रुपानी तो अमित शाह के पैदा किए हुए नेता हैं. आज तक उनका खुद का कोई फैसला नही होता है. वो तो छोटे बच्चे जैसे हैं जो खेलने के लिये भी पापा को पूछने जाते हैं कि पापा मैं खेलने जाऊ या नहीं.
ओबीसी कमिटी ने सर्वे सबमिट करने के लिये कहा है...
आज तक मुझे यही पता नही चल रहा कि अगर सर्वे हम करेंगे तो हर एक जाति को अपना सर्वे करना पड़ेगा, सर्वे ओबीसी कमीशन का होता है, ओबीसी कमीशन की
सिफारिश के आधार पर होता है. हमने ओबीसी कमिशन को कहा है कि आप सर्वे कीजिए और सर्वे होगा तो पता चल जायेगा कि हम कितने प्रतिशत हैं.
आज से गुजरात की राजनीति कैसी होगी ?
हम उन लोगों के सामने लड़ रहे हैं जिन्होंने हम पर अत्याचार किया है, चाहे वह सरकार हो, सिस्टम हो या कोई व्यक्ति हो. हम उन लोगों के सामने लड़ रहे हैं और एक होकर
लडेंगे, जिन्होंने हमारे युवाओं को शहीद किया है. मैं किसी व्यक्ति के लिये नही लड़ रहा, मैं 1 करोड़ 20 लाख पाटीदारों के लिए लड़ रहा हूं. पिछले 18 महीने में जब इतने लोग रोड
पर निकल रहे हैं, तब समाज को इसकी जरूरत है.
साल 2017 का विधानसभा चुनाव आ रहा है. गुजरात में आपकी क्या रणनीति होगी?
लाठी मैंने अकेले नहीं बल्कि ये पूरे समाज ने खाई है. हिंदुस्तान में हिटलरशाही या तानाशाही नही चलती है. 1 करोड़ 20 लाख लोग लोग बूथ पर खड़े हो जाएंगे तो पता
चल जाएगा कि समाज किसके साथ है.
आप खुद कैम्पेनिंग करेंगे ?
मैं उन लोगों के खिलाफ कैम्पेनिंग करूंगा, जिन्होंने हमारे 14 युवाओं की जान ली है और जिन्होंने जनरल डायर की तरह आदेश दिए थे.