
भाजपा ने बुधवार को हरियाणा के पंचकूला के मोरनी हिल्स में चिंतन बैठक का आयोजन किया. जिसमें 2019 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों की रणनीति पर चर्चा की गई.
पार्टी सूत्रों के मुताबिक बैठक में मुख्यमंत्री और विधायकों के अलावा कई निगम और बोर्ड के अध्यक्ष भी शामिल हुए. पार्टी से जुड़े कई आंतरिक मुद्दों के अलावा विधानसभा के चुनाव से जुड़े मुद्दे इस बैठक के अहम बिंदु रहे.
बैठक में विपक्ष द्वारा उठाए जाने वाले मुद्दों का तोड़ निकालने और चार साल की उपलब्धियों को मतदाताओं तक पहुंचाने की बात रखी गई.
पार्टी 28 अक्टूबर चुनावी प्रचार का बिगुल फूंकेगी. इस तारीख को राज्य में भाजपा सरकार के चार साल का कार्यकाल पूरा होने के मौके पर करनाल में प्रदेश स्तरीय रैली का आयोजन किया जाएगा.
जनकल्याणकारी योजनाओं पर कार्यक्रम आयोजित करने के अलावा संगठनात्मक मजबूती के लिए शक्ति केंद्र और बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं को उतारा जाएगा.
इसके अलावा जिला स्तर पर महिला सम्मेलनों का आयोजन कर महिलाओं से जुड़ी योजनाओं पर चर्चा होगी. अक्टूबर महीने में शक्ति केंद्र स्तर पर सम्मेलन और नवम्बर में बूथ स्तर पर सम्मेलन पूरे प्रदेश में आयोजित किए जाएंगे.
इसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन (25 दिसम्बर) पर मनाए जाने वाले सुशासन दिवस के मौके पर बूथ पर पंजीकृत कार्यकर्ताओं का महाकुम्भ आयोजित किया जाएगा.
हरियाणा में जीत को बरकरार रखने के लिए भाजपा अगले चार महीने तक आमजन को बदलाव का अहसास कराया जाएगा और कार्यकर्ताओं में जोश भरा जाएगा. इस दौरान संगठनात्मक और सरकार के स्तर पर लगातार आयोजन होंगे.
13-14 सितम्बर को रोहतक में प्रदेश कार्यसमिति का आयोजन किया जाएगा. 16 सितम्बर को पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की कालजयी कविताओं पर अलग-अलग स्थानों पर काव्यांजलि पाठ आयोजित किए जाएंगे.
इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन 17 सितम्बर से पण्डित दीनदयाल उपाध्याय के जन्मदिन 25 सितम्बर तक कार्यान्जली सेवा सप्ताह आयोजित किया जाएगा. इसमें स्वास्थ्य जांच शिविर, पौधरोपण आदि आयोजनों के साथ आयुष्मान भारत अभियान के बारे में भी आमजन को जागरूक किया जाएगा.
हरियाणा में भाजपा सरकार के चार साल का कार्यकाल कई विवादों के कारण चर्चा में रहा है. जाट आरक्षण और गुरमीत राम रहीम की सजा के बाद फैली हिंसा को काबू करने में नाकाम रही सरकार की खूब किरकिरी हुई.
राज्य में गैंगरेप, दलित अत्याचार और अपराध के मामलों का ग्राफ ऊपर गया है. सरकार को सरकारी भर्तियों में हो रही खरीद-फ़रोख़्त के आरोप भी झेलने पड़े.
सरकार ने भर्ती परीक्षाओं में ब्राह्मण समुदाय को लेकर ऊल-जलूल सवाल पूछे जाने के कारण ब्राह्मण समुदाय नाराज़ है. वहीं विपक्ष विधानसभा चुनावों में इन मुद्दों को भुनाने का कोई मौका छोड़ना नहीं चाहता.