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डेरा प्रमुख राम रहीम के खिलाफ चल रहे रेप केस का पढ़ें पूरा ब्योरा

 राम रहीम की अनुयायी एक साध्वी ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को एक शिकायत भेजी थी. साध्वी ने शिकायत में राम रहीम पर यौन शोषण का आरोप लगाया था.

बाबा राम रहीम (फाइल फोटो) बाबा राम रहीम (फाइल फोटो)
कुबूल अहमद
  • पंचकूला,
  • 25 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 11:30 PM IST

डेरा प्रमुख राम रहीम पर लगे यौन शोषण के मामले  में 15 साल के बाद फैसला आया.  इस नतीजे तक पहुंचने मे कई उतार चढ़ाव भरे सफर से होकर गुजरना पढ़ा है. इन 15 सालों में इस मामले कब-कब और क्या-क्या हुआ है.  

अप्रैल 2002- राम रहीम की अनुयायी एक साध्वी ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को एक शिकायत भेजी थी. साध्वी ने शिकायत में राम रहीम पर यौन शोषण का आरोप लगाया था.

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मई 2002- शिकायती पत्र को तस्दीक करने की जांच का जिम्मा सिरसा के सेशन जज को सौंपा गया.

दिसंबर 2002- शिकायत सही पाए जाने के बाद राम रहीम के खिलाफ धारा 376, 506 और 509 के तहत केस दर्ज किया गया था.

दिसंबर 2003- इस केस की जांच सीबीआई को सौंपी गई. जांच अधिकारी सतीश डागर ने केस की जांच शुरू की और साल 2005-2006 में उस साध्वी को ढूंढ निकाला, जिसका यौन शोषण हुआ था.

जुलाई 2007- सीबीआई ने केस की जांच पूरी कर अंबाला सीबीआई कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की. अंबाला से केस की सुनवाई पंचकूला शिफ्ट कर दी गई. चार्जशीट के मुताबिक, डेरे में 1999 और 2001 में कुछ और साध्वियों का भी यौन शोषण हुआ , लेकिन वे मिल नहीं सकीं.

अगस्त 2008- केस का ट्रायल शुरू हुआ और डेरा प्रमुख राम रहीम के खिलाफ आरोप तय किए गए.

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साल 2011 से 2016- केस का ट्रायल चला. डेरा प्रमुख राम रहीम की ओर से वकील लगातार जिरह करते नजर आए.

जुलाई 2016- केस की सुनवाई के दौरान 52 गवाह पेश किए गए, इनमें 15 प्रॉसिक्यूशन और 37 डिफेंस के थे.

जून 2017- कोर्ट ने डेरा प्रमुख के विदेश जाने पर रोक लगा दी.

25 जुलाई 2017- सीबीआई कोर्ट ने इस मामले में हर रोज सुनवाई करने के निर्देश दिए ताकि जल्द फैसला सुनाया जा सके.

17 अगस्त 2017- दोनों पक्षों की ओर से चल रही जिरह खत्म हुई और फैसले के लिए 25 अगस्त की तारीख तय की गई.

गौरतलब है कि डेरा सच्चा सौदा की स्थापना 1948 में शाह मस्ताना महाराज ने की थी. शाह सतनाम महाराज इसके प्रमुख बने और उन्होंने 1990 में संत गुरमीत सिंह को गद्दी सौंप दी. संत गुरमीत श्रीगंगानगर (राजस्थान) के गांव गुरुसरमोडिया के रहने वाले हैं.

 

 

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