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जम्मू-कश्मीर में गठबंधन सरकार बनाने की तैयारी में कांग्रेस ?

जम्मू-कश्मीर में भाजपा-पीडीपी गठबंधन टूट जाने और घाटी में राज्यपाल शासन लगने के बाद एक बार फिर सरकार बनाने की अटकलें तेज़ हो गई हैं. दरअसल पीडीपी और कांग्रेस ने सूबे में गठबंधन सरकार बनाने को लेकर संभावनाएं तलाशना शुरू कर दिया है.

सोनिया गांधी और महबूबा मुफ्ती सोनिया गांधी और महबूबा मुफ्ती
विवेक पाठक
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  • 02 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 11:34 AM IST

जम्मू-कश्मीर में भाजपा-पीडीपी गठबंधन टूट जाने और घाटी में राज्यपाल शासन लगने के बाद एक बार फिर सरकार बनाने की अटकलें तेज़ हो गई हैं. दरअसल पीडीपी और कांग्रेस ने सूबे में गठबंधन सरकार बनाने को लेकर संभावनाएं तलाशनी शुरू कर दी है.

हिन्दुस्तान टाइम्स की एक खबर के मुताबिक जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री व पीडीपी की मुखिया महबूबा मुफ्ती और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के बीच चर्चा जारी है. ऐसा इसलिए भी कहा जा रहा है क्योंकि महबूबा मुफ्ती पिछले दो दिनों से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में मौजूद हैं. वहीं जम्मू-कश्मीर को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में गठित कांग्रेस के पॉलिसी एंड प्लानिंग ग्रुप (पीपीजी) की सोमवार को दिल्ली में बैठक होनी है. पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के घर होने वाली इस बैठक में डॉ कर्ण सिंह, पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम, राज्यसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता गुलाम नबी आजाद और अंबिका सोनी शामिल होंगे.

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बताया जा रहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के घर होने वाली इस बैठक के बाद कांग्रेस ने मंगलवार को श्रीनगर में एक अहम बैठक बुलाई है. इस बैठक  में जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के नेता, सभी विधायक, एमएलसी के साथ पूर्व मंत्रियों और राज्यसभा में विपक्ष के नेता और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद और जम्मू-कश्मीर प्रभारी अंबिका सोनी शामिल होंगे. जिसमे सरकार बनाने की संभावना और इससे घाटी में पड़ने वाले असर पर चर्चा संभव है.

दरअसल, कांग्रेस और पीडीपी दोनो खेमों में इस बात को लेकर आशंका है कि राज्य के बदलते माहौल और अमरनाथ यात्रा को लेकर चुनौती को देखते हुए केंद्र की मोदी सरकार राज्यपाल एन एन वोहरा की जगह किसी और को राज्यपाल नियुक्त कर सकती है. वहीं जम्मू-कश्मीर के भाजपा प्रभारी राम माधव की पीपुल्स कांफ्रेंस के नेता सज्जाद गनी लोन और निर्दलीय विधायक इंजिनियर राशिद से पिछले दिनों हुई मुलाकात ने घाटी में राजनीतिक सुगबुगाहट को और हवा दे दी है. अनिश्चिताओं के बीच पीडीपी को डर ये भी है कि भाजपा उसके कुछ महत्वकांक्षी विधायकों को तोड़ सकती है.

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जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कांग्रेस के पास 12 विधायक हैं, वहीं सरकार बनाने के लिए 44 विधायकों की आवश्यकता होगी. पीडीपी के पास 28 विधायक हैं. अगर कांग्रेस और पीडीपी साथ आ जाते हैं तो उन्हें 4 और विधायकों की आवश्यकता होगी. तीन निर्दलीय विधायकों के अलावा एक विधायक सीपीआई-एम और एक विधायक जेकेपीडीएफ का है. आपको बता दें कि कांग्रेस को पीडीपी के साथ किसी भी तरह के गठबंधन के लिए घाटी में पीडीपी की धुर विरोधी नेशनल कांफ्रेस (एनसी) से अपना रिश्ता तोड़ना होगा या तो एनसी को अपने विश्वास में लेना होगा.

फिलहाल जम्मू-कश्मीर मे पीडीपी के साथ सरकार बनाने को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद और सहयोगी नेशनल कांफ्रेंस के उमर अब्दुल्ला पहले ही इनकार कर चुके है.

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