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अलगाववादियों से सिफारिश की चिठ्ठी लेकर युवा पाकिस्तान में ले रहे आतंक की ट्रेनिंग

खुफिया रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है कि इस तरीके से अलगाववादी नेता कश्मीर घाटी के युवाओं को पाकिस्तान भेज कर उन्हें हथियार की ट्रेनिंग दिला रहे है, साथ ही उनका ब्रेनवॉश कर भारत भेजा जाता है ताकि वह घाटी में आतंक मचाए.

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
जितेंद्र बहादुर सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 05 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 6:27 AM IST

भारत के खिलाफ पाकिस्तान हमेशा नित नई चालें चलता रहता है. इस बार पाकिस्तान की एक ऐसी चाल का खुलासा हुआ है जिसमें अलगाववादी नेता और पाक के बीच गठजोड़ का बड़ा पर्दाफाश हुआ है. और यह भारत के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है.

आजतक के पास मौजूद खुफिया दस्तावेजों से जो जानकारी मिली है वो काफी चौंकाने वाली है. रिपोर्ट के मुताबिक कश्मीर घाटी में आतंकियों की नई भर्ती और ट्रेनिंग पाकिस्तान में दिलाने के लिए अलगाववादी नेता अपने सिफारिशी लेटर का इस्तेमाल कर रहे हैं.

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पाक में मिल रही हथियारों की ट्रेनिंग

खुफिया रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है कि इस तरीके से अलगाववादी नेता कश्मीर घाटी के युवाओं को पाकिस्तान भेज कर उन्हें हथियार की ट्रेनिंग दिला रहे है, साथ ही उनका ब्रेनवॉश कर भारत भेजा जाता है ताकि वह घाटी में आतंक मचाए.

सिफारिश पत्र बना हथियार

खुफिया सूत्रों ने जानकारी दी है कि जिस तरीके से भारतीय सेना घाटी में आतंकियों को ऑपरेशन आलऑउट के तहत ढेर कर रही है, वैसे ही पाकिस्तान बौखलाहट में अलगाववादी नेताओं की मदद से आतंकियों को ट्रेंड करने का ये नया रास्ता अख्तियार किया है.

खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक घाटी के अलगाववादियों और मुस्लिम धर्म गुरुओं के सिफारिशी पत्र के जरिये कश्मीर के युवा हथियारों की ट्रेंनिग के लिए मान्य यात्रा दस्तावेज हासिल कर रहे हैं.

सूत्रों के मुताबिक़ घाटी में VTD यानी Valid travel डाक्यूमेंट्स की व्यवस्था ओवर ग्राउंड वर्कर (OGWs)के जरिये कराया जा रहा है. Valid travel डाक्यूमेंट्स के जरिये आसानी से कश्मीर घाटी के युवा सीमापार चले जाते हैं. खुफिया रिपोर्ट से ये भी खुलासा हुआ है कि पाकिस्तान घाटी के युवाओं को आतंक में झोंकने के लिए इनको 2 से 4 सप्ताह की हथियारों की ट्रेनिंग देता है.

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आतंक का क्रैश कोर्स

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने इस तरीके की ट्रेनिंग का नाम का 'आतंक का क्रेश कोर्स' रखा है. सूत्रों ने ये भी जानकारी दी है कि वैलिड ट्रेवल डाक्यूमेंट्स पाने से पहले कश्मीर युवाओं को घाटी में मौजूद विदेशी आतंकी उनका ब्रेनवॉश करते हैं, बाद में उनको पाकिस्तान के ट्रेंनिग कैम्प में ट्रेंड करने के लिए भेजा जाता है.

पाकिस्तान की इस नई चाल को लेकर सुरक्षा मामलों के जानकार और पूर्व डीजीएमओ विनोद भाटिया ने कहा, 'अलगाववादी नेताओं के सिफारिशी लेटर हेड लेकर पाकिस्तान जाना और वहां पर हथियारों की ट्रेनिंग लेना यह काफी चिंता का विषय है. भारत सरकार को इस पर गौर फरमाना होगा.'

पाक से आने वालों पर हो नजर

विनोद भाटिया ने ये भी कहा कि अलगाववादी नेताओं के जो ओवर ग्राउंड वर्कर पाकिस्तान जाते हैं और वहां से ट्रेनिंग लेकर भारत आते हैं उन पर नजर रखी जानी चाहिए, यही नहीं जो लोग वहां से वापस आते हैं तो उनको एक अलग कैंप में डालकर उनके ऊपर नजर रखना चाहिए और रीओरिएंट करना चाहिए.

उनके अनुसार, दूसरी सबसे बड़ी बात यह है कि पाकिस्तान जो लाइन ऑफ कंट्रोल के माध्यम से आतंकियों की घुसपैठ कराता आता था, वह अब आतंकी को सीमापार नहीं करा पा रहा है. इसलिए पाकिस्तान ने यह नया तरीका ढूंढा है कि अलगाववादियों के सिफारिशी पत्र लेकर उनको वैलिड वीजा के जरिये ले जाया जाए और आतंकियों को ट्रेंड किया जाए. पाक इस समय नए-नए तरीकों का जो इस्तेमाल कर रहा है. उसको मात देने के लिए हमारी सुरक्षा एजेंसियों को बड़े स्तर पर काम करना होगा जो लोग वापस आ रहे हैं उनको चेक भी किया जाना चाहिए.

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पाक के इशारे पर अलगाववादी

वहीं पीके सहगल ने कहा कि पिछले कई सालों से साफतौर पर यह नजर आ रहा है कि अलगाववादी किस तरीके से पाकिस्तान के इशारे पर काम कर रहे हैं. वह देशद्रोही हैं जो भी कश्मीर में बड़ी गड़बड़ी होती है उन सबके पीछे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से अलगाववादियों का ही हाथ रहता है.

उन्होंने कहा कि हमारे पास जो जानकारी है उसके मुताबिक हर फ्राइडे प्रेयर के बाद मीरवाइज जैसे बड़े नेता कश्मीर के युवाओं को भड़काते हैं और उकसाते हैं. जब इस तरीके से अलगाववादी नेता कश्मीर के युवाओं को भड़का रहे हैं उसके बावजूद आखिर क्यों भारत सरकार इस तरीके से इनको इनके लेटर पर वीजा देती है, इसको सोचना होगा.

पीके सहगल ने कहा कि हमारे पास जो जानकारी है उसके मुताबिक ओवर ग्राउंड वर्कर की मदद से यह सारे लोग अलगाववादियों के सिफारिशी पत्र के आधार पर पाकिस्तान जाने का वैलिड डॉक्यूमेंट पा जाते हैं जिसके जरिए यह पाकिस्तान जाते हैं और वहां पर इनको हथियारों की ट्रेनिंग दी जाती है यहां तक कि कई बार वाघा बॉर्डर का भी इस्तेमाल पाकिस्तान जाने के लिए कराया जाता है.

सरकार के लिए चुनौती

इससे पहले आपको बता दें की कश्मीर के युवाओं को लाइन ऑफ कंट्रोल पार करना होता था और उसके बाद वह पाकिस्तान में जाकर उनको ट्रेनिंग दी जाती थी, लेकिन अब अलगाववादियों के लेटर हेड के जरिए वह लोग एक आसान तरीका पा चुके हैं और इस आसान तरीके के जरिए उनके ऊपर किसी को आशंका और शक भी नहीं होता वह सीधे पाकिस्तान में जाते हैं एक वैलिड वीजा लेकर और वहां से आर्म्स की ट्रेनिंग लेते हैं और यह ट्रेनिंग लेने के बाद कश्मीर घाटी में आतंक फैलाते हैं.

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उन्हें तो यह लगता है यह बड़ी अजीबोगरीब बात है कि सरकार इसको इतने दिनों तक इसको क्यों नजरअंदाज करती रही. हमारी मांग यह है कि अब समय आ गया है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार मिलकर के किसी भी अलगाववादी लीडर की रिकमेंडेशन को ना माने जिसके आधार पर कश्मीर के युवाओं को पाकिस्तान भेजा जाता रहा है इसका भारत के खिलाफ गलत फायदा उठाने की कोशिश पाकिस्तान की तरफ से की जा रही है इसमें पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई भी शामिल है.

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