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कश्मीर में सीजफायर खत्म, अब इन 3 मोर्चों पर सरकार और सेना की अग्निपरीक्षा

इस बार सेना से उम्मीदें भी ज्यादा हैं, इसलिए पिछले कुछ दिनों में जिस तरह से घाटी में परिस्थितियां बनी हैं उनसे पार पाना आसान नहीं होगा. सेना के लिए आने वाले दिनों में अब तीन मोर्चों पर खुद को मजबूती से पेश करना होगा.

घाटी में फिर शुरू हुआ सेना का ऑपरेशन ऑलआउट (फाइल) घाटी में फिर शुरू हुआ सेना का ऑपरेशन ऑलआउट (फाइल)
मोहित ग्रोवर
  • नई दिल्ली,
  • 18 जून 2018,
  • अपडेटेड 9:37 AM IST

रमज़ान का पाक महीना खत्म हुआ और खत्म हुई इसी के साथ केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों के ऑपरेशन पर लगी हुई पाबंदी भी. पूरे एक महीने जिस शांति के मकसद से गृहमंत्रालय ने इस कोशिश को आगे बढ़ाया था, उसपर आतंकियों ने अपने नापाक मंसूबों से पानी फेर दिया. और इसी के साथ आज से फिर घाटी में सेना का ऑपरेशन ऑलआउट नए सिरे से शुरू होगा.

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इस बार सेना से उम्मीदें भी ज्यादा हैं, इसलिए पिछले कुछ दिनों में जिस तरह से घाटी में परिस्थितियां बनी हैं उनसे पार पाना आसान नहीं होगा. सेना के लिए आने वाले दिनों में अब तीन मोर्चों पर खुद को मजबूती से पेश करना होगा.

1. अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा

ईद के पवित्र त्योहार के बाद अब सेना और सरकार के लिए अगला बड़ा लक्ष्य है शांतिपूर्ण तरीके से अमरनाथ यात्रा को पूरा करवाना. अमरनाथ यात्रा हमेशा से ही आतंकियों के निशाने पर रही है, 28 जून से शुरू हो रही इस यात्रा के लिए कई तरह के अलर्ट भी जारी हैं. हाल ही में आई इंटेलीजेंस की एक रिपोर्ट की मानें, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के करीब 450 पाकिस्तानी आंतकी सीमा पार अमरनाथ यात्रा को अपना निशाना बनाने के लिए तैयार बैठे हैं.

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2. आतंकियों का नया पैंतरा, लोकल ही निशाने पर

आतंकियों की ओर से पहले घाटी में सीधा सुरक्षाबलों पर निशाना साधा जाता था, लेकिन पिछले कुछ दिनों में लोकल पर भी निशाना बनाना शुरू किया गया है. पत्रकार शुजात बुखारी, जवान औरंगजेब और इसके अलावा रविवार को ही एक आम नागरिक को गोली मारी गई. इसके अलावा भी रविवार को एक छोटा धमाका हुआ.

सेना के सामने मुश्किल ये ही आतंकियों के इस हमले से स्थानीय लोगों को किस तरह बचाया जाए और इनमें भी वो लोग आतंकियों के निशाने पर हैं जो हर मोर्चे पर सेना के साथ खड़े होते नज़र आए हैं.  

3. घर के बाद बॉर्डर को भी रखना है सुरक्षित

जम्मू-कश्मीर में सेना के लिए दोहरे मोर्चे पर कई चुनौतियां हैं. एक ओर जहां राज्य में हो रहे आतंकियों के हमले से पार पाना है तो वहीं बॉर्डर पर पाकिस्तान की ओर से किए जा रहे सीज़फायर पर भी रोक लगानी है.

पाकिस्तान ने पिछले कई दिनों में बॉर्डर पर अंधाधुंध फायरिंग कर रहा है, यही कारण है कि अंतरराष्ट्रीय सीमा और एलओसी से कई स्थानीय निवासियों को हटाना भी पड़ा है. बॉर्डर पर पाकिस्तान की ओर से लगातार की जा रही फायरिंग का ही कारण रहा जो इस बार ईद पर जवानों के बीच मिठाई नहीं बंटी.

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गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने आतंकियों द्वारा जारी हिंसा के बीच रविवार को जम्मू एवं कश्मीर में घोषित एकतरफा संघर्षविराम को विस्तार न देने का फैसला किया है. यह संघर्षविराम रमजान के पाक महीने के दौरान राज्य में 16 मई को घोषित किया गया था. बता दें कि 17 मई से 14 जून के बीच जम्मू-कश्मीर में कुल 62 आतंकी घटनाएं हुईं.

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