
कश्मीर में नेताओं की हिरासत पर डीजीपी दिलबाग सिंह ने कहा कि ज्यादातर नेताओं को रिहा कर दिया गया है. केवल कुछ ही नेताओं को हिरासत में रखा गया है. हिरासत केवल घाटी के मौजूदा माहौल को देखते हुए बढ़ाई गई है. पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) केवल उन्हीं नेताओं पर लगाया गया है, जो ताकतवर हैं, जिनके रिहा होने से हालात असामान्य हो सकते हैं. ऐसे में जब तक घाटी का माहौल सामान्य नहीं हो जाता, नेताओं को रिहा नहीं किया जा सकता है.
दिलबाग सिंह ने कहा कि पाकिस्तान की ओर से किए जा रहे हमलों का जवाब देने के लिए सुरक्षा एजेंसियां काम कर रही हैं. पीएसए डोजियर में डैडीज गर्ल और कोटा रानी के जिक्र पर दिलबाग सिंह ने कहा कि यह अफसोसजनक है. ऐसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए. ज्यादातर नेताओं को रिहा कर दिया गया है. जब तक घाटी में हालात बेहतर नहीं होते, उन्हें रिहा नहीं किया जाएगा.
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डोजियर पर बढ़ा विवाद
दरअसल दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के खिलाफ "पब्लिक सेफ्टी एक्ट" (पीएसए) लगाने के "कारणों" की काफी आलोचना हुई. यह आलोचना इतनी बढ़ गई थी कि प्रशासन को सफाई देनी पड़ी. प्रशासन ने कहा कि कुछ मीडिया रिपोर्ट में कहा गया था कि राज्य के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती पर पीएसए लगाने का आधार बेहद हास्यास्पद है.
दिलबाग सिंह ने कश्मीर में नेताओं की हिरासत को जायज ठहराया लेकिन यह भी कहा कि जिस तरह प्रशासन के डोजियर में महबूबा मुफ्ती को डैडी गर्ल बताया गया है, वह अफसोसजनक है.
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क्यों बढ़ा है डोजियर पर विवाद?
दरअसल डोजियर में पुलिस ने बताया है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला का कश्मीर में बड़ा प्रभाव है. ऐसे में वह सोशल मीडिया के जरिए लोगों को प्रभावित कर सकते हैं. जबकि महबूबा मुफ्ती के बारे में कहा गया है कि वह एक अलगाववादी नेता रही हैं. यही कारण है कि दोनों को पीएसए के तहत हिरासत में लिया गया. वहीं इस डोजियर में डैडी गर्ल और कोटा रानी का जिक्र किया गया है, जिसकी खासी आलोचना हो रही है. उन्होंने कहा कि डोजियर के कुछ हिस्से आपत्तिजनक हैं, जिसका इस्तेमाल नहीं होना चाहिए था.