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कश्मीर घाटी में अब आतंकियों की जिंदगी सिर्फ एक महीने, कर दिए जाते हैं ढेर

लेफ्टिनेंट जनरल वाई. के. जोशी ने बताया कि अब कश्मीर घाटी में आतंकी ज्यादा दिन तक सुरक्षित नहीं रह पाते हैं और उनको आतंकी संगठन में शामिल होने के एक महीने के अंदर ही ढेर कर दिया जाता है.

सांकेतिक तस्वीर (Courtesy- PTI) सांकेतिक तस्वीर (Courtesy- PTI)
गौरव सावंत
  • नई दिल्ली,
  • 25 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 6:33 PM IST

  • पिछले साल की तुलना में सीजफायर में 39% इजाफा
  • आतंकी घुसपैठ को प्रभावी तरीके से रोक रही सेना

कश्मीर घाटी में सुरक्षा बल लगातार आतंकियों का सफाया कर रहे हैं. अब सुरक्षा बल एक महीने के अंदर ही आतंकी को ढेर कर देते हैं यानी अब कश्मीर घाटी में कोई भी आतंकी एक महीने से ज्यादा जिंदा नहीं रह पाता है. उत्तरी कमांड के सैन्य कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल वाई. के. जोशी ने बताया कि आतंकी संगठन जॉइन करने वाले को सुरक्षा बल महज 30 दिन में ही मार गिराते हैं.

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लेफ्टिनेंट जनरल वाई. के. जोशी ने बताया कि हम आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई के दौरान बेहद सतर्कता बरतते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि आम नागरिक को किसी तरह का नुकसान न होने पाए. कई बार आम लोगों को ढाल बनाकर आतंकी बचकर भागने में भी कामयाब हो जाते हैं, लेकिन फिर आम नागरिकों को किसी भी तरह का नुकसान नहीं होने दिया जाता है.

उन्होंने कहा कि आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन के दौरान आम लोगों की जिंदगी बचाना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है. लेफ्टिनेंट जनरल वाई. के. जोशी ने बताया कि अब कश्मीर घाटी में आतंकी ज्यादा दिन तक सुरक्षित नहीं रह पाते हैं और उनको आतंकी संगठन में शामिल होने के एक महीने के अंदर ही ढेर कर दिया जाता है. खुफिया जानकारी बेहतर करने के चलते सुरक्षा बलों को यह कामयाबी मिल रही है.

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यही वजह है कि आतंकियों के खिलाफ भारतीय सेना की कार्रवाई से पाकिस्तान बौखलाया हुआ है और लगातार सीजफायर का उल्लंघन कर रहा है. लेफ्टिनेंट जनरल जोशी ने बताया कि पिछले साल की तुलना में इस साल सीजफायर उल्लंघन में 39 फीसदी इजाफा हुआ है.

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उन्होंने बताया कि पाकिस्तान सीजफायर तोड़कर सीमा पार से आतंकियों की घुसपैठ कराने की कोशिश करता है. जम्मू-कश्मीर में दहशतगर्दी फैलाने के लिए पाकिस्तान आतंकियों को पूरी मदद देता है. हालांकि भारतीय सेना ने प्रभावी तरीके से आतंकियों की घुसपैठ रोकने में कामयाबी हासिल की है. इसके चलते स्थानीय स्तर पर न तो आतंकवादियों की भर्ती हो पाती है और न ही ट्रेनिंग दे पाते हैं. इससे कश्मीर घाटी में आतंकियों की कमर टूट गई है.

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