Advertisement

'PAK लिंक' पर उमर की आपत्ति के बाद राम माधव ने वापस लिया बयान

घाटी में राजनीतिक उथलपुथल मची हुई है. इस बीच राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और बीजेपी नेता राम माधव के बीच ट्विटर पर तू-तू-मैं-मैं चल रही है.

राम माधव बनाम उमर अब्दुल्ला राम माधव बनाम उमर अब्दुल्ला
मोहित ग्रोवर
  • नई दिल्ली,
  • 22 नवंबर 2018,
  • अपडेटेड 2:53 PM IST

जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग होने के बाद सियासी बयानबाजी तेज हो गई है. गुरुवार सुबह बीजेपी नेता राम माधव ने NC-PDP पर बड़ा बयान दिया. जिसके बाद राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और राम माधव के बीच ट्विटर पर जुबानी जंग छिड़ गई. राम माधव ने पीडीपी और एनसी पर सरकार बनाने के इस फैसले को पाकिस्तानी समर्थित बताया था. अब्दुल्ला की आपत्ति के बाद राम माधव ने अपने शब्द वापस लिए.

Advertisement

बीजेपी नेता राम माधव ने ट्वीट किया कि मैं अपने शब्द वापस लेता हूं, लेकिन पीडीपी-एनसी का सरकार बनाने का प्रयास असफल रहा. जो भी मेरा कमेंट किया था वह राजनीतिक था, पर्सनल नहीं था.

ऐसे शुरू हुई ट्विटर पर जंग

बता दें कि गुरुवार सुबह से ही दोनों नेता के बीच ट्विटर पर जंग चल रही थी. शुरुआती ट्वीट में राम माधव ने कहा था कि पीडीपी-एनसी ने पिछले महीने निकाय चुनाव का बहिष्कार करने का ऐलान किया था, वो आदेश भी उन्हें बॉर्डर के पार से आया था. ऐसा लगता है कि राज्य में सरकार बनाने को लेकर उन्हें नए आदेश मिले होंगे. इसी कारण राज्यपाल को ये फैसला लेना पड़ा.

राम माधव के इस बयान पर उमर अब्दुल्ला ने पलटवार किया. उन्होंने ट्वीट किया कि मैं आपको चैलेंज करता हूं कि इन आरोपों को सिद्ध करके दिखाएं. आपके पास RAW-NIA-CBI है, जांच कर पब्लिक डोमेन में ला सकते हैं. या तो इन आरोपों को साबित करें अन्यथा माफी मांगें.

इस पर राम माधव ने जवाब दिया कि वह उनकी देशभक्ति पर सवाल नहीं खड़े कर रहे हैं. लेकिन पीडीपी-एनसी के बीच अचानक उमड़ा प्रेम और सरकार बनाने की जल्दबाजी इस प्रकार के बयान दिलवा रही है.

Advertisement

इस पर उमर अब्दुल्ला ने जवाब दिया कि इस प्रकार का व्यंग्य काम नहीं करेगा. आपने आरोप लगाया है कि मेरी पार्टी पाकिस्तान के इशारों पर काम कर रही है. मैं आपको इसे सिद्ध करने की चुनौती देता हूं.

गौरतलब है कि बुधवार शाम को महबूबा मुफ्ती ने पीडीपी के 29, एनसी के 15 और कांग्रेस के 12 विधायकों को मिलाकर 56 विधायकों का समर्थन हासिल होने का दावा करते हुए सरकार बनाने की पेशकश की थी. जिसके बाद राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विधानसभा भंग करने का फैसला किया.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement