
कश्मीर में सड़कें सुलग रही हैं, आर्मी और अलगाववादी आमने सामने हैं, नतीजा जम्मू कश्मीर के कई हिस्सों में कर्फ्यू और आगजनी जारी है. पिछले कई दिनों से कश्मीर से कोई अच्छी खबर नहीं आई, लेकिन घाटी के ही ऊपरी हिस्से से ऐसे ऑपरेशन की खबर है, जो इंसानियत सिखाती है और बताती है कि घाटी में झगड़े फसाद के अलावा भी करने के लिए बहुत कुछ है. करगिल में लोगों को ईलाज मुहैया करने के इरादे से दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के डॉक्टरों की एक टीम घाटी के शिखर पर पहुंची है.
दरअसल पिछले कई सालों से अशोका मिशन नाम का एनजीओ लेह और आसपास के इलाकों में हैल्थ कैंप आयोजित करता रहा है, जिसमें लेह के सुदूर ग्रामीण इलाकों के मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं. इसमें ऐसे मरीजों की पहचान की जाती है, जिन्हें सुपर स्पेशलिटी मेडिकल ट्रीटमेंट की जरूरत होती है, जो घाटी में मौजूद नहीं है. ऐसे मरीजों के लिए हैल्थ कैंप में ही दिल्ली से पूरा साजो सामान मंगाया जाता है, ऑपरेशन थियेटर बनाया जाता है और फिर घुटने से लेकर कूल्हे के रिप्लेसमेंट तक के ऑपरेशन किये जाते हैं. यही नहीं न्यूरो, आई, और हार्ट के स्पेशलिस्ट की सुविधा भी मुहैया की जाती है.
एक्सपर्ट डॉक्टर की सलाह मिलना बेहद मुश्किल भरा
इस बार कैंप की खास बात ये रही है कि ये कारगिल में हुआ और ऐसे मौके पर हुआ, जब करगिल विजय दिवस नजदीक था. एम्स के अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सीनियर डॉक्टर्स की टीम देश के शिखर पर पहुंची, तो करगिल में जवानों की तरह जोश था. एम्स के सीनियर प्रोफेसर और नी रिप्लेसमेंट एक्सपर्ट डॉ. चंद्रशेखर यादव के मुताबिक 'इस इलाके में लोगों के लिए एक्सपर्ट डॉक्टर की सलाह या किसी स्पेशलाइज्ड सर्जरी की सुविधा आसानी से नहीं मिलती. डॉक्टर से मिलने के लिए भी दूर-दूर तक भटकना पड़ता है, ऐसे में जब हम लोग यहां पहुंचे तो भारी संख्या में लोग अपनी बीमारी का इलाज कराने के लिए मौजूद थे.'
13 मरीजों के घुटनों का रिप्लेसमेंट हुआ
जो ऑपरेशन या सर्जरी दिल्ली में भी आसान नहीं होती, उन सर्जरी को करगिल जैसे इलाके में करना किसी चुनौती से कम नहीं था. लेकिन मरीज़ों की उम्मीद भरी आंखों ने डॉक्टर्स की टीम में भी जोश भर दिया. एम्स के ऑर्थोपेडिक्स डिपार्टमेंट के डॉ. सीएएस यादव की अगुवाई में तीन दिन में 13 मरीजों के घुटनों का रिप्लेसमेंट किया गया और तीन दिन में मरीज अपने पैरों पर खड़े होने में कामयाब हो गए. डॉ यादव का नाम 11 हजार फीट की ऊंचाई पर ज्यादा से ज्यादा नी रिप्लेसमेंट करने के लिए लिमका बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज है. डॉ. यादव के मुताबिक 'करगिल में ऑपरेशन करने का मतलब था कि करीब आधा टन वजनी ऑपरेशन थियेटर का सामान अपने साथ दिल्ली से ले जाना पड़ा, जिसमें महंगे इम्लांट भी शामिल थे.'
डॉक्टरों ने अलग अंदाज में मनाया करगिल विजय दिवस
26 जुलाई को देश करगिल विजय दिवस मनाएगा, लेकिन करगिल में मरीजों के होंठों पर मुस्कान लाकर डॉक्टर्स ने करगिल का दिल जीत लिया और सच्ची श्रद्धांजलि उन जवानों को दी, जिन्होंने करगिल पर कब्जे के पाकिस्तान के नापाक मंसूबों को नाकाम करने में अपनी जान न्योछावर कर दी थी.