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प्रोफेसर के बाद घाटी में अब एक डॉक्टर ने पकड़ी आतंक की राह!

हेड कांस्टेबल मोहम्मद मकबूल का बेटा आबिद भी आतंकी संगठन में शामिल हुआ था. त्राल के कालागुंड में रहने वाले आबिद की फोटो एके-47 के साथ सामने आई थी जिसके बाद 25 मार्च को उसे मार गिराया गया था.

कश्मीर के युवा पत्थरबाज (फाइल फोटो) कश्मीर के युवा पत्थरबाज (फाइल फोटो)
अशरफ वानी
  • श्रीनगर,
  • 03 जून 2018,
  • अपडेटेड 2:39 PM IST

कश्मीर यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर रहे मोहम्मद रफी के एनकाउंटर के बाद अब एक लापता डॉक्टर के आतंकी संगठन में शामिल होने की आशंकाएं लगाई जा रही हैं. पेशे से डॉक्टर और आईपीएस अधिकारी का भाई शम्स-उल हक़ 26 मई को लापता हो गया था.

पिछले दिनों शोपियां से लापता हुए पूर्व प्रोफेसर मोहम्मद रफी के आतंकी संगठन में शामिल होने के 24 घंटे बाद ही कश्मीर में उनका एनकाउंटर कर दिया गया था. इंडिया टुडे को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मोहम्मद रफीक मेंगनू जो कि श्रीनगर के रहने वाले हैं, उनका बेटा शम्स-उल हक भी आतंक की राह पर चल पड़ा है.

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शम्स-उल हक़ जकौरा कैंपस में यूनानी मेडिसन और सर्जरी में डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहा है. उसका भाई जम्मू-कश्मीर से बाहर के कैडर में आईपीएस ऑफिसर है. शोपियां के पुलिस अधीक्षक ने बताया कि उन्हें इस मामले में पुख्ता जानकारी नहीं है. लेकिन एक अन्य अधिकारी ने बताया कि पुलिस को पता चला है कि शम्स-उल-हक़ लापता हो गया है, लेकिन परिवार ने अभी थाने में कोई सूचना नहीं दी है.  

पुलिस अधिकारी ने बताया कि परिवार जब लिखित में कोई शिकायत लेकर आएगा उसके बाद ही इस मामले की जांच शुरू होगी. उधर एक हेड कांस्टेबल मोहम्मद मकबूल बट्ट का बेटा आबिद बट्ट भी आतंकी संगठन में शामिल हुआ था. त्राल के कालागुंड में रहने वाले आबिद की फोटो एके-47 के साथ सामने आई थी जिसके बाद 25 मार्च को उसे मार गिराया गया था.

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इस साल अप्रैल के बाद से लगातार युवा आतंकी गतिविधियों में शामिल हो रहे हैं. खासतौर पर दक्षिण कश्मीर में इनकी संख्या काफी तेजी से बढ़ रही है. कश्मीर में केंद्र की आक्रामक नीति बहुत कारगर होती नहीं दिख रही है. साल दर साल आतंक की पाठशाला में घाटी के युवाओं का दाखिला बढ़ रहा है.

आतंकी संगठनों में शामिल होते युवा

- 2015 में 66 नए युवा आतंकवादी बने, जबकि 100 से ज्यादा आतंकी मारे गए.

- 2016 में 88 युवा आतंकवादी बने, जबकि 150 आतंकी मारे गए.

- 2017 में 126 युवा आतंकी बने, जबकि 213 आतंकी मारे गए.

- 2018 में 48 युवाओं ने अब तक आतंकी संगठनों का दामन थामा जबकि अप्रैल में 16 आतंकी और पिछले चार महीनों में 63 आतंकी मारे गए. इनमें 34 स्थानीय लोग भी शामिल हैं.

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