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EXCLUSIVE: ISI ने बनाया प्लान, युवाओं को पत्थरबाजी के लिए करना है भर्ती

भारत के खुफिया विभाग ने गृह मंत्रालय को एक रिपोर्ट दी है. जिसमें खुलासा किया गया है कि पाकिस्तान की खूफिया एजेंसी आईएसआई कश्मीर के युवाओं का आईएस की विचारधारा की तर्ज पर मौलिककरण करने में जुटा है. इसके अलावा आईएस की विचारधारा की तर्ज पर युवाओं को आकर्षित करने का बड़ा प्लान तैयार है.

पत्थरबाजी के लिए युवाओं को भर्ती करने का प्लान है आईएसआई का पत्थरबाजी के लिए युवाओं को भर्ती करने का प्लान है आईएसआई का
जितेंद्र बहादुर सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 01 नवंबर 2016,
  • अपडेटेड 1:38 PM IST

भारत के खुफिया विभाग ने गृह मंत्रालय को एक रिपोर्ट दी है. जिसमें खुलासा किया गया है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई कश्मीर के युवाओं का आईएस की विचारधारा की तर्ज पर मौलिककरण करने में जुटा है. इसके अलावा आईएस की विचारधारा की तर्ज पर युवाओं को आकर्षित करने का बड़ा प्लान तैयार है.

पत्थरबाजी के लिए युवाओं की भर्ती करना प्लान का अहम हिस्सा है
आईएसआई का मकसद कश्मीर घाटी में युवाओं को आतंक और पत्थरबाजी के लिए भर्ती करना और ब्रेनवॉश कर उन्हें उकसाना है. इनके निशाने पर 9वीं से लेकर 12वीं तक पढ़ने वाले छात्र. यही नहीं पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई अलगाववादियों की नई टीम को तैयार करने में जुटा और उसने पुराने अलगाववादी नेताओं की फंडिंग में भी कटौती की है.

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आईएसआई नए ग्रुप बना रहा है
फंडिंग का बड़ा हिस्सा नए तैयार किए गए अलगाववादी ग्रुप को देने का भी बड़ा प्लान है और पत्थरबाजों की भर्ती करने के लिए अलगाववादी नेताओं के बजाय अब नए ग्रुप के जरिये भर्ती करने के प्लान का हुआ खुलासा हुआ है.

इराक और सीरिया तर्ज पर बन रहा है बड़ा प्लान
इराक और सीरिया की तर्ज पर आधुनिक शिक्षा को खत्म करने का कश्मीर घाटी में रची जा रही है एक बड़ी साजिश. इसी प्लान के तहत स्कूलों को निशाना नये अलगाववादी ग्रुप के जरिये बनाया जा रहा है. पाक सेना और आईएसआई के इसी प्लान के तहत 27 से ज्यादा स्कूलों को घाटी में जलाने के पीछे अलगाववादियों के लोकल मोड्यूल का सहारा लिया है.

दबाव में हैं अलगावादी नेता
अलगाववादियों को इतने दिनों तक जिन लोकल ट्रेडर्स का समर्थन प्राप्त था वो भी अब इतने दिनों से चले बंद के चलते सारे ट्रेडर्स ने हुर्रियत नेताओं पर स्ट्राइक वापस लेने का दबान बना रहे हैं. सेब के फलों की ठीक से बिक्री न होने के चलते, ट्रेडर्स को हुए नुकसान की वजह से ट्रेडर्स ने अलगाववादियों पर बंद को वापस करने का दबाव बनाया है.

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