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स्कूलों को निशाना बनाकर क्या हासिल करना चाहते हैं घाटी के दुश्मन, जानें

कश्मीर घाटी में लगातार स्कूलों में आग लगाकर उन्हें पूरी तरह से खत्म किया जा रहा है. पिछले दो महीनों में 25 से ज्यादा स्कूलों में आग लगाई जा चुकी है. रविवार को कश्मीर के कंबामार्क हायर सेकेंड्री स्कूल को भी आग के हवाले कर दिया गया.

कश्मीर में स्कूलों को जलाया जा रहा है कश्मीर में स्कूलों को जलाया जा रहा है
अमित रायकवार
  • नई दिल्ली,
  • 01 नवंबर 2016,
  • अपडेटेड 5:44 PM IST

कश्मीर घाटी में लगातार स्कूलों में आग लगाकर उन्हें पूरी तरह से खत्म किया जा रहा है. पिछले दो महीनों में 25 से ज्यादा स्कूलों में आग लगाई जा चुकी है. रविवार को कश्मीर के कंबामार्क हायर सेकेंड्री स्कूल को भी आग के हवाले कर दिया गया. सूत्रों की मानें तो आगे भी आतंकियों की सरकारी इमारतों और स्कूलों को निशाना बनाकर आग लगाई जाने की योजना है. यह सब आतंकी संगठन हिजबुल कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद से शुरू हुआ. इन सब के पीछे अलगाववादी संगठन और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ बताया जा रहा है. पिछले तीन महीनों से कश्मीर में जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया है. आम जनता को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

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क्यों बनाया जा रहा है स्कूलों को निशाना ?
आखिर क्यों स्कूलों को निशाना बनाया जा रहा है. इसके पीछे आलगावादी संगठन और पाकिस्तान की खूफिया एजेंसी आईएसआई कई फायदे उठाना चाहती हैं. पाकिस्तान की कोशिश है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कश्मीर का मुद्दा गर्मा रहे और अंतराष्ट्रीय मीडिया में इसे जगह मिलती रहे. दूसरा सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि कश्मीर की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा जाएगी और युवाओं का आतंकी गतिविधियों और पत्थरबाजी के लिए आसानी इनका इस्तेमाल किया जा सकेगा. जिसकी वो लगातार कोशिशें करता रहा है. इनके निशाने पर 9वीं से लेकर 12वीं तक पढ़ने वाले छात्र हैं.

क्या है अलगाववादी और पाकिस्तानी खूफिया एजेंसी आईएसआई की परेशानी
भारत सरकार ने कश्मीर घाटी के लिए कई करोड़ों का फंड का ऐलान किया है. इसके अलावा कश्मीर के युवाओं के लिए स्किल इंडिया के तहत रोजगार देने और भारतीय सैन्य बलों में उन्हें शामिल करने का सरकारी अभियान चला रखा है. सरकार के इस कदम से घाटी में अलगाववादी और सीमा पार उनके आका काफी परेशान हैं.

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कश्मीरी युवा को शिक्षा का महत्व पता चल चुका है
कश्मीर के युवाओं को शिक्षा के महत्व का पता चल चुका है और उनका ध्यान पढ़ लिखकर नए रोजगार की तलाश करना है. ऐसे में अलगवादी और आईएसएस ज्यादा दिनों तक घाटी में बंद नहीं कर सकते हैं. लेकिन स्कूलों में आग लगाकर जरूर इसका थोड़ा फायदा आम-आदमी को डर दिखाकर कुछ समय तक उठा सकते हैं. बंद की वजह से आम कश्मीरी को रोजमर्रा की चीजों के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

सेब की बिक्री न होने से ट्रेडर्स को हुआ नुकसान
अबतक अलगाववादियों को कुछ लोकल ट्रेडर्स का साथ हासिल था. लगातार हो रहे नुकसान के चलते ट्रेडर्स ने हुर्रियत नेताओं पर स्ट्राइक वापस लेने का दबाव बनाने में लगे हैं. सेब की ठीक से बिक्री न होने के चलते ट्रेडर्स को काफी नुकसान हो रहा है.

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