
कश्मीर में पैलेट गन के इस्तेमाल पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि इस मामले की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने ये पूछकर गलती की है कि जम्मू कश्मीर की सड़कों पर लोग प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं.
चीफ जस्टिस ने कहा, 'अगर कोर्ट ने ये जानना चाहा था तो ये एक गलती थी'.
ये थी वजह
दरअसल, चीफ जस्टिस की ये टिप्पणी उस वक्त की गई जब याचिकाकर्ता जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से कोर्ट को बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट ही जानना चाहता था कि राज्य की सड़कों पर लोग क्यों प्रदर्शन कर रहे हैं.
पैलेग गन पर रोक की याचिका
जम्मू कश्मीर में प्रदर्शनकारियों पर पैलेट गन के इस्तेमाल पर रोक लगाने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने भी सवाल उठाया था कि प्रदर्शनकारियों में 9,11,13,15 और 17 साल के बच्चे और नौजवान क्यों शामिल हैं? रिपोर्ट के मुताबिक, जख्मी लोगों में 40 या उससे ऊपर 60 साल तक के लोग नहीं हैं. पैलेट गन से जख्मी लोगों में 95 फीसदी छात्र हैं.कोर्ट ने कहा था कि कश्मीर के हालात चिंताजनक हैं. वहीं केंद्र सरकार ने कोर्ट से कहा कि पैलेट गन का इस्तेमाल आखिरी विकल्प के तौर पर किया जा रहा है और इसका मकसद किसी को मारना नहीं है.
साथ ही केंद्र सरकार ने कोर्ट में बताया कि प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए नया SOP बनाया गया है. साथ ही पैलेट गन के अलावा किसी दूसरे विकल्प पर भी विचार कर रहा है. लेकिन याचिकाकर्ता की दलील है कि ये बच्चे और नौजवान प्रर्दशनकारी नहीं बल्कि देखने वाले होते हैं. ऐसे में जब सुरक्षाबल फायरिंग करते हैं या पैलेट गन चलाते हैं तो वो भी चपेट में आ जाते हैं.
इस मामले की अगली सुनवाई 18 जनवरी, 2018 को होगी. हालांकि, केंद्र सरकार ने याचिका का विरोध किया और खारिज करने की मांग की. केंद्र का कहना है कि पहले ही ऐसे मुद्दों पर हाई कोर्ट सुनवाई कर रहा है.