
झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के चौथे दिन जबरदस्त हंगामे और अफरा-तफरी के बीच CNT-SPT संशोधन विधेयक पास हो गया. इस दौरान सदन के भीतर और बाहर CNT-SPT संशोधन विधेयक के विरोध में जबरदस्त हंगामा हुआ. विपक्ष ने सदन के अंदर संशोधन बिल के पर्चे फाड़े, वहीं कुछ विपक्षी विधायक स्पीकर के सामने रखी टेबल पर चढ़ गए. सदन के भीतर कुर्सियां फेकने की कोशिश की गयी. कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी ने सदन के अंदर विरोध करते वक्त फॉम स्प्रे किया.
दरअसल हंगामे की वजह झारखंड में लागू सौ वर्ष पुराने CNT -SPT एक्ट में संशोधन का बिल था. जहां सरकार इसे किसी भी कीमत पर पास करवाने पर अड़ी थी. वहीं विपक्ष लगातार इसका जबरदस्त विरोध कर रहा था. पूर्व घोषित कार्यक्रम के मुताबिक सरकार आज इस संशोधन बिल को सदन में पेश किया. वहीं इसके पेश होते ही विपक्ष ने हंगामा खड़ा कर दिया.
स्पीकर दिनेश उरांव पर भी कुर्सी से हमला किया गया, स्पीकर के सामने रखी संशोधन की कॉपी तक फाड़ दी गई. विपक्षी विधायकों कहना था कि वो रुलिंग पार्टी से दो-दो हाथ करने को तैयार हैं, लेकिन संशोधन विधेयक पेश नहीं होने देंगे.
क्या है CNT-SPT संशोधन विधेयक
दरअसल CNT - SPT एक्ट आदिवासियों की भूमि के लिए बनाया हुआ एक कानून है. बीते 3 मई को छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट और संथाल परगना टेनेंसी में संशोधन का प्रस्ताव झारखंड कैबिनेट की बैठक में पास किया गया था.
इन दोनों प्रावधानों में संशोधन के तहत जमीन मालिक को अपनी भूमि में परिवर्तन का अधिकार मिलेगा. कृषि के अलावा अपनी जमीन का उपयोग व्यावसायिक कार्यों के लिए भी कर सकेंगे. इससे उनको कारोबारी रेट भी मिलेगा, अब तक
आदिवासी अपनी भूमि किसी और को नहीं बेच सकते थे.
वे बस एक थाना क्षेत्र में ही किसी आदिवासी से जमीन की खरीद बिक्री कर सकते हैं. संशोधन के तहत सिर्फ थाने की बंदिश खत्म हो जाएगी. हालांकि जमीन मालिक का मालिकाना हक उसकी जमीन पर बना रहेगा. पहले यह प्रावधान था कि अनुसूचित जनजाति के भूमि का उपयोग खान और उद्योग के लिए किया जाता था और इसके लिए कमिश्नर की मंजूरी जरूरी थी. लेकिन इस बिल के पास होने के बाद अब इस जमीन का उपयोग अन्य योजना जैसे आधारभूत संरचना, सड़क, ऊर्जा के लिए ट्रांसमिशन लाइन, परिवहन, संचार के लिए भी किया जा सकेगा.
अगर किसी काम के लिए अनुसूचित जनजाति की जमीन ली जाती है तो उसका उपयोग पांच साल के अंदर अनिवार्य रूप से करना होगा, अगर ऐसा नहीं हुआ तो वह जमीन जिस परिवार से ली गई है, उसे वापस कर दी जाएगी. साथ ही जमीन के एवज में दिया गया मुआवजा भी वापस नहीं होगा, बिल पास होने के बाद मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि हम बिल पर सदन के भीतर चर्चा कराना चाहते थे लेकिन विपक्ष चर्चा के लिए तैयार ही नहीं था. ऐसे में बिल पास होते ही बीजेपी जश्न मनाते नजर आई.
सड़क से सदन तक हंगामा
दूसरी ओर सदन के बाहर भी आज जमकर हंगामा हुआ. शहर में कई जगहों पर विपक्ष के कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज हुआ और आंसू गैस भी छोड़ी गई. बहरहाल झारखंड में CNT-SPT एक्ट के लागू रहने की वजह से केंद्र और राज्य की
कई बड़ी परियोजनाएं लटकी पड़ी है क्योंकि जमीन के अधिग्रहण के दौरान यह एक्ट आड़े आता है. वहीं इस कानून के तहत आदिवासी भी जमीन रहते भी किसी दूसरी जाति के लोगों को इसे बेच नहीं सकते, दूसरी तरफ बैंक भी ऐसी जमीनों पर
लोन देने से कतराते है. ऐसे में इस बिल के पास होने से इसके दूरगामी परिणाम होंगे. जबकि विपक्षी दलों का कहना है कि इस संशोधन के बाद आदिवासी कही के नहीं रहेंगे, अब उनकी जल-जंगल-जमीन भी पूंजीपतियों में बाँट दी जाएगी.
गौरतलब है कि झारखंड के करीबन सवा तीन करोड़ की आबादी में आदिवासियों की संख्या करीब 26 फीसदी है, इनमें से अधिकांश वोटों पर शिबू सोरेन की पार्टी JMM का कब्जा परंपरागत तौर पर रहा है.