Advertisement

झारखंड: सभी नौकरियां स्थानीय निवासियों को देने की सिफारिश, खतियान से मिलेगा आरक्षण

राज्य के भू-राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार मंत्री अमर कुमार बाउरी की अध्यक्षता में गठित छह सदस्यीय कमिटी ने जिन पांच बिंदुओं पर अपनी अनुशंसा सौंपी है, उसमें सबसे महत्वपूर्ण आरक्षण है.

झारखंड के सीएम (फाइल फोटो) झारखंड के सीएम (फाइल फोटो)
सना जैदी/धरमबीर सिन्हा
  • रांची,
  • 18 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 8:06 PM IST

झारखंड में सरकारी नौकरियों में आरक्षण और स्थानीयता को परिभाषित करने के लिए गठित विशेष कमिटी ने अपनी अनुशंसा राज्य सरकार को सौंप दी है. अपनी अनुशंसा में कमिटी ने इस बात की सिफारिश की है कि राज्य सरकार के अधीन सभी प्रकार की नियुक्तियों के लिए स्थानीय लोगों को ही अवसर मिले. जबकि आरक्षण उन्हीं को दिया जाए जिनके पास 1932 या इसके पूर्व का खतियान होगा. हालांकि राज्य में फिलहाल जारी व्यवस्था के तहत जो जाति प्रमाण पत्र निर्गत किया जाता है वो खतियान के आधार पर ही मिलता है. गौरतलब है कि बीते दिनों राज्य सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर 1985 या उसके पूर्व झारखंड में रहने वालों को स्थानीय माना था.

Advertisement

पांच बिंदुओं पर सौंपी गई अनुशंसा

राज्य के भू-राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार मंत्री अमर कुमार बाउरी की अध्यक्षता में गठित छह सदस्यीय कमिटी ने जिन पांच बिंदुओं पर अपनी अनुशंसा सौंपी है, उसमें सबसे महत्वपूर्ण आरक्षण है. कमिटी ने प्रस्तावित किया है कि रोजगार में आरक्षण का लाभ उन्हीं को मिले जिनके नाम खतियान में दर्ज हों. साथ ही कमिटी ने कहा कि इस पर अंतिम निर्णय लिए जाने तक वैसी सभी प्रतियोगिता परीक्षाओं के तहत होने वाली नियुक्तियों को रोका जाए जो अभी प्रारंभिक स्तर पर है या जिनकी परीक्षाएं अभी नहीं हुई हैं. कमेटी ने स्थानीय लोगों को नियोजन के लिए 45 वर्ष तक की उम्र को अधिकतम उम्र मानने की भी अनुशंसा की है.

राज्य के अनुसूचित जिलों में पहले से ही दस वर्षों के लिए स्थानीय लोगों को जिला स्तरीय नियुक्तियों में आरक्षण का प्रावधान लागू है. नीति आयोग की रिपोर्ट के आधार पर अब कमेटी ने शेष गैर अनुसूचित जिलों के लिए भी इसी प्रावधान को लागू करने की अनुशंसा की है. इस प्रकार सभी 24 जिलों में जिला स्तरीय नौकरियां स्थानीय लोगों को ही मिलेंगी. साथ ही कमिटी ने पांचवीं झारखंड लोकसेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा से आरक्षण को हटाने को गलत मानते हुए आयोग के दोषी अधिकारियों पर कड़ी विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की है.

Advertisement

अनुशंसा माने जाने पर क्या होगा असर?

अगर कमिटी की अनुशंसा मान ली जाती है तो इसका सीधा असर झारखंड लोक सेवा आयोग की छठी प्रारंभिक परीक्षा पर पड़ेगा. जिसका परीक्षाफल दो बार निकाले जाने के बावजूद आरक्षण विवाद की वजह से अभी भी लंबित है तो वो रद्द की जा सकती है. ऐसे में पहले दो बार के परीक्षाफलों में उत्तीर्ण हजारों छात्रों का भविष्य आधार में लटक जाएगा. वहीं इस फैसले का सीधा असर झारखंड कर्मचारी चयन आयोग की दरोगा नियुक्ति परीक्षा सहित आधे दर्जन से अधिक परीक्षाओं पर पड़ेगा, जो अभी प्रारंभिक अवस्था में हैं. दरअसल झारखंड में अभी तक जितनी भी नियुक्ति परीक्षाएं हुई हैं, उनमें से अधिकांश किसी न किसी वजह से विवादों में है. वहीं एक दर्जन से अधिक परीक्षाओं की तो सीबीआई जांच बीते तीन वर्षों से अधिक समय से लगातार जारी है. 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement