Advertisement

मानव तस्करी और बाल मजदूरी को लेकर NHRC की क्लास में अफसर फेल!

रांची में NHRC के एक वर्कशॉप में शुक्रवार को जस्टिस डी मुरुगेशन ने झारखण्ड के सभी जिलों के DC और SP की क्लास ली. वर्कशॉप में बंधुआ मजदूरी, बाल श्रम, मानव तस्करी और पलायन पर NGO के साथ-साथ जिले में पदस्थापित अधिकारियों से जानकारी ली गई.

बैठक में अधिकारियों से कई सवाल पूछे गए बैठक में अधिकारियों से कई सवाल पूछे गए
धरमबीर सिन्हा
  • रांची,
  • 10 सितंबर 2016,
  • अपडेटेड 5:36 AM IST

रांची में NHRC के एक वर्कशॉप में शुक्रवार को जस्टिस डी मुरुगेशन ने झारखण्ड के सभी जिलों के DC और SP की क्लास ली. वर्कशॉप में बंधुआ मजदूरी, बाल श्रम, मानव तस्करी और पलायन पर NGO के साथ-साथ जिले में पदस्थापित अधिकारियों से जानकारी ली गई. लेकिन अधिकतर अधिकारी इन मामलों से जुड़ी कानूनी धाराओं से अनभिज्ञ दिखे. NHRC ने यह भी पूछा कि छुड़ाने के बाद महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा और पुनर्वास के लिए क्या कदम उठाये जा रहे हैं. इस सवाल के जवाब में अधिकारी बगले झांकते नजर आये.

Advertisement

दरअसल झारखण्ड में हर साल हजारों की संख्या में महिलाएं रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों का रुख करती है. अधिकांश मामलों में ये दलालों के चंगुल में फंस जाती हैं और मजबूरन देह व्यापार जैसी अंधी गलियों में धकेल दी जाती हैं. यही हाल बाल-श्रम बंधुआ मजदूरी की भी है. ईंट भट्टों पर इनका शोषण होने की तमाम खबरें आती रहती हैं. रांची में NHRC की टीम बीते तीन दिनों से है.

25 हजार लड़कियां हर साल तस्करी की शिकार
वैसे झारखण्ड पुलिस इन दिनों राज्य में ऑपरेशन मुस्कान चला रही है. जिसमें मानव तस्करी की शिकार बनी नाबालिगों के उद्धार और पुनर्वास के कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं एंटी ह्यूमन ट्रेफिकिंग विंग के आंकड़े इस बात की तस्दीक करते हैं कि अकेले झारखंड से करीब 25 हजार लड़कियां हर साल ट्रेफिकिंग की शिकार होती हैं.

Advertisement

झारखण्ड के गुमला, सिमडेगा, खूंटी और दुमका ऐसे जिले हैं जहां से नाबालिग आदिवासी लड़कियों का पलायन सबसे अधिक होता है, जबकि पुलिस यह दावा कर रही है कि हालिया दिनों में ऐसी नाबालिगों के रेस्क्यू कराने में अच्छी सफलताएं मिली है. लेकिन तमाम सरकारी दावों के उलट इनकी संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement