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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की 'नर्मदा परिक्रमा पदयात्रा' सोमवार को 192वें दिन पूरी हो गई. यह यात्रा मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के बरमान घाट में समाप्त हुई. इस दौरान दिग्विजय सिंह ने आजतक से विशेष बातचीत की और कई सवालों के बेबाक अंदाज में जवाब दिए. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वो सियासत करेंगे, पकौड़े नहीं तलेंगे.
साल 1993 से साल 2003 तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे 70 वर्षीय दिग्विजय ने अपनी 46 साल की पत्नी अमृता राय के साथ नरसिंहपुर जिले के बरमान घाट से पिछले साल 30 सितंबर को नर्मदा पूजन के बाद यह पदयात्रा शुरू की थी. दिग्विजय, अमृता, पूर्व सांसदगण रामेश्वर नीखरा और नारायण सिंह अमलाबे सहित उनके कई समर्थक नर्मदा नदी के दोनों किनारे तकरीबन 3,300 किलोमीटर की इस पदयात्रा करने के बाद सोमवार सुबह बरमान घाट पर पहुंचे.
दिग्विजय और उनकी पत्नी ने घाट पर पहुंचने के बाद पदयात्रा पूरी होने से जुड़े कई धार्मिक रीति रिवाज का निर्वहन किया. इस यात्रा के समापन पर दिग्विजय को शुभकामनाएं देने के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्रीगण कांतिलाल भूरिया, सुरेश पचौरी, मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरूण यादव और अन्य पार्टी नेताओं के अलावा बड़ी तादात में लोग पहुंचे.
कांग्रेस का दावा है कि अपनी पदयात्रा के दौरान दिग्विजय ने प्रदेश भाजपानीत सरकार के 14 साल के शासनकाल में हुए भ्रष्टाचार से संबंधित सबूत बड़ी तादात में इकट्ठा किए हैं और अपनी यात्रा समाप्त करने के बाद वह निश्चित तौर पर मध्य प्रदेश में चल रहे बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की पोल खोलेंगे. उन्होंने अपनी इस पदयात्रा के दौरान मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से 110 सीटों का दौरा किया. पदयात्रा समाप्त होने पर दिग्विजय सिंह और उनकी पत्नी अमृता ने आजतक के सवालों के खुलकर जवाब दिए. पेश हैं उनसे बातचीत का ब्योरा...
सवाल- छह महीने से चल रही नर्मदा यात्रा पूरी हुई, अब आप सियासत के लिहाज से राज्य की जनता को क्या सन्देश देने चाहते हैं?
दिग्विजय सिंह का जवाब- मां नर्मदा की सफल यात्रा के लिए मध्य प्रदेश की सारी जनता का आभार जताता हूं. अगला राजनीतिक कदम क्या होगा, ये तय करेंगे मेरे अध्यक्ष राहुल गांधी. वो जो आदेश करेंगे, मैं वही करूंगा.
सवाल- आप कह रहे हैं कि यात्रा खत्म होने पर सियासत करूंगा, पकौड़े नहीं तलूंगा?
जवाब- बिल्कुल राजनीति करूंगा, पकौड़े थोड़े तलूंगा. हां, अब आगे की राजनीति की दिशा राहुल से मिलकर तय करूंगा.
सवाल- अमित शाह ने कहा है कि मोदी डर से विपक्षी कुत्ता, बिल्ली और नेवले की तरह एक साथ हो रहे हैं?
जवाब- अमित शाह जैसे व्यक्ति हैं, वैसी ही भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं.
सवाल- मध्य प्रदेश की सत्ता में वापसी के लिए कांग्रेस क्या करेगी?
जवाब- हमारे नेताओं को जनता के बीच जाना होगा. जनता के मन की बात सुननी होगी और लोकप्रिय लोगों को टिकट देना होगा.
सवाल- आप नेतृत्व के लिए तैयार हैं?
जवाब- मैं मुख्यमंत्री की दौड़ में बिलकुल नहीं हूं. मेरी बात साफ है कि मुझे सीएम नहीं बनना. हां, मैं पार्टी में गुटबाजी और आपसी दंगे-फसाद को खत्म करके सबको एकजुट करने का काम कर सकता हूं. आलाकमान कहेगा, तो जरूर करूंगा.
सवाल- राहुल गांधी ने जनार्दन द्विवेदी को महासचिव के पद से हटा दिया है, अब अगर आपको हटाते हैं, तो आप तैयार हैं?
जवाब- बिल्कुल मैं तैयार हूं हटने के लिए. मैं 14 साल से कांग्रेस का महासचिव हूं और कितने दिन रहूंगा. हां, राहुल गांधी के हर फैसले में उनके साथ हूं.
सवाल- आप कांग्रेस महासचिव पद पर बने रहना चाहते हैं?
जवाब- मैंने यह फैसला राहुल गांधी पर छोड़ दिया है. यह उनके विवेक पर निर्भर है, लेकिन हम हर स्थिति में उनके साथ हैं.
सवाल- सोनिया और राहुल के फैसलों में कई जगह फर्क दिखता है. जैसे राज्यसभा चुनावों में राहुल ने राज्य के बाहर के लोगों को टिकट नहीं दिए? क्या राहुल बेहतर कर रहे हैं?
जवाब- तुलना नहीं करनी चाहिए. ये अनुचित है. अभी हमको राहुल के लिए खुला मैदान छोड़ना चाहिए, ताकि वो पार्टी में बदलाव के लिए अपने विवेक से हर संभव फैसला करें.
सवाल- क्या एमपी में कांग्रेस को सीएम का चेहरा देना चाहिए या फिर राजस्थान की तर्ज पर सामूहिक नेतृत्व का ऐलान होना चाहिए?
जवाब- ये निर्णय राहुल को करने दीजिए.
सवाल- क्या आप किसी को चेहरा बनाने की बजाय सामूहिक नेतृत्व के पक्षधर हैं?
जवाब- देखिए...मेरी जो भी राय है, वो राहुल के सामने ही रखूंगा और वो फैसला करेंगे.
सवाल- बीजेपी और पीएम मोदी का आरोप है कि आप लोग दलित विरोधी हैं?
जवाब- गुजरात में दलितों का जो हाल है, उससे उनका दलित प्रेम साफ नजर आता.
सवाल- क्या राहुल 2019 में मोदी को हरा पाएंगे?
जवाब- राहुल कोशिश करेंगे और पूरी कोशिश करेंगे.
सवाल- राहुल ने कहा कि वो पार्टी में बदलाव चाहते हैं, लेकिन जगह युवाओं और अनुभवी दोनों लोगों को देंगे. ऐसे में क्या आपकी जगह बनती है?
जवाब- मेरा फैसला तो राहुल करेंगे, लेकिन युवा और अनुभव के बीच समन्वय होना ही चाहिए.
सवाल- क्या मोदी को हराने के लिए विपक्षी पार्टियों को एक साथ आना चाहिए?
जवाब- गोरखपुर और फूलपुर उदाहरण हैं. सब साथ आए तो बीजेपी हार गई.
सवाल- राहुल कहते हैं कि मोदी को बनारस में भी हराया जा सकता है?
जवाब- अगर सही तरीके से रणनीति तय की जाए, तो बनारस ही नहीं, बल्कि देश में भी मोदी को हराया जा सकता है.
सवाल- पीएम मोदी के लिए कोई सियासी सन्देश देना चाहेंगे?
जवाब- उनको पीएम बने चार साल हो गए. अर्थव्यवस्था चौपट हो गई है. जाति और धर्म के नाम पर झगड़ा चिंता का विषय.
सवाल- कहा जा रहा है कि बीजेपी के मुकाबले आपका संगठन कमज़ोर है. लिहाजा आप विपक्ष को एकजुट करना चाहते हैं?
जवाब- ऐसा नहीं है. हम हर जगह गठजोड़ नहीं चाहते हैं. हां, जहां हम कमज़ोर हैं, वहीं गठजोड़ चाहते हैं. हर राज्य में जहां हम मजबूत नहीं हैं, वहीं गठजोड़ हो.
सवाल- एक तरफ सोनिया कहती हैं कि राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष को एकजुट होनी की जरूरत, जबकि दूसरी तरफ फूलपुर और गोरखपुर में कांग्रेस का उम्मीदवार उतारना और ज़मानत नहीं बचा पाना कहां तक सही है?
जवाब- ये वो फैसला था, जो खुद मुझे भी समझ नहीं आया कि क्यों हुआ? लेकिन क्यों हुआ इसकी मुझे जानकारी नहीं.
इस दौरान दिग्विजय सिंह के साथ उनकी पत्नी अमृता भी रहीं. उन्होंने भी आजतक के सवालों के जवाब दिए. पेश हैं, उनसे बातचीत के अंश...
सवाल- आप बताइए कि छह महीने दिग्विजय सिंह ने कोई सियासी बयान नहीं दिया? आपको कैसा लगा?
जवाब- एक पत्नी को जैसा महसूस करना चाहिए, वैसा कर रही हूं. एक पत्नी के लिए इससे बड़ा सुकून क्या हो सकता है कि उनके पति ने इतने समय तक कोई सियासी बयान नहीं दिया.
सवाल- आपने मनोकामना क्या मांगी?
जवाब- देखिए, मनोकामना तो बताई नहीं जाती.
सवाल- क्या आपको उम्मीद थी कि सियासी बयानों के लिए मशहूर दिग्विजय छह महीने खामोश रह लेंगे?
जवाब- मैं इतना जानती हूं कि ये निश्चय के पक्के हैं और जो दृढ़ करते हैं, उसको पूरा करते हैं.