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भीमा-कोरेगांव केस : वरवर राव को कोर्ट से झटका, 26 नवंबर तक हिरासत में

भीमा-कोरेगांव हिंसा केस में नक्सल समर्थक वरवर राव को पुणे की सेशन कोर्ट ने बड़ा झटका दिया है.  कोर्ट ने वरवर राव को 26 नवंबर तक पुलिस कस्टडी में रखने का आदेश दिया है है.

(फोटो- इंडिया टु़डे) (फोटो- इंडिया टु़डे)
दीपक कुमार
  • पुणे,
  • 18 नवंबर 2018,
  • अपडेटेड 5:38 PM IST

भीमा कोरेगांव केस में मानवाधिकार कार्यकर्ता और तेलुगु कवि वरवर राव को 26 नवंबर तक के लिए पुलिस कस्टडी में भेज दिया गया है. कोर्ट के आदेश के बाद राव हैदराबाद स्थित अपने घर में नजरबंद थे, जिसकी अवधि समाप्त होने के बाद महाराष्ट्र पुलिस ने शनिवार को उन्हें गिरफ्तार कर लिया था.

वरवर राव उन पांच लोगों में शामिल हैं, जिन पर नक्सलियों के साथ संबंध रखने और भीमा कोरेगांव हिंसा में शामिल होने के आरोप हैं. इससे पहले अगस्त में भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में पुणे पुलिस की अगुवाई में देशभर में छापेमारी हुई थी. इस दौरान वरवर राव समेत कई नक्सल समर्थकों को गिरफ्तार किया गया था.

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कोर्ट ने गिरफ्तारी पर लगाई थी रोक

हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी और इनको नजरबंद रखने का निर्देश दिया था. इससे पहले इस साल के शुरुआत में पुणे पुलिस ने नक्सल नेता की ओर से लिखे गए एक कथित पत्र को जब्त किया था, जिसमें देश में विभिन्न नक्सल गतिविधियों के लिए प्रतिष्ठित तेलुगू कवि वरवर राव के कथित ‘मार्गदर्शन’ के लिए उनकी तारीफ की गई थी.

कौन हैं वरवर राव

मानवाधिकार कार्यकर्ता वरवर राव एक तेलुगु कवि और लेखक हैं. वो 1957 से कविताएं लिख रहे हैं. उन्हें इमरजेंसी के दौरान अक्टूबर 1973 में आंतरिक सुरक्षा रखरखाव कानून (मीसा) के तहत गिरफ्तार किया गया था. आपातकाल के दौरान उनकी तरह कई राजनीतिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और बुद्धिजीवियों को गिरफ्तार किया गया था.

वरवर, वीरासम (क्रांतिकारी लेखक संगठन) के संस्थापक सदस्य थे. साल 1986 के रामनगर साजिश कांड सहित कई अलग-अलग मामलों में 1975 और 1986 के बीच उन्हें एक से ज्यादा बार गिरफ्तार और फिर रिहा किया गया. उसके बाद 2003 में उन्हें रामवगर साजिश कांड में बरी किया गया और 2005 में फिर जेल भेज दिया गया था. उन्हें नक्सलियों का समर्थक माना जाता है.

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