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भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में पुलिस ने तीन लोगों को किया गिरफ्तार

पुलिस अधीक्षक सुवेज हक ने कहा, “ हमने अहमद नगर से तीन लोगों को गिरफ्तार किया है और सभी ने फटांगले पर पत्थर और डंडे से हमला करने का अपना अपराध स्वीकार कर लिया है.”

फाइल फोटो फाइल फोटो
मोहित ग्रोवर
  • मुंबई,
  • 11 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 9:14 AM IST

महाराष्ट्र के कोरेगांव भीम के निकट एक जनवरी को जातीय हिंसा के दौरान 30 वर्षीय एक व्यक्ति की हत्या के मामले में पुणे पुलिस ने अहमदनगर जिले से बुधवार को तीन लोगों को गिरफ्तार किया है.

पुणे जिले में कोरेगांव भीम के निकट हुई हिंसा के दौरान राहुल फटांगले की कथित तौर पर हत्या हुई थी. इस मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था. फटांगले पर लोगों के एक समूह ने उस समय कथित तौर पर हमला कर दिया था जब वह घर लौट रहे थे.

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पुलिस अधीक्षक सुवेज हक ने कहा, “ हमने अहमद नगर से तीन लोगों को गिरफ्तार किया है और सभी ने फटांगले पर पत्थर और डंडे से हमला करने का अपना अपराध स्वीकार कर लिया है.”

कबीर कला मंच के लोगों पर हुई थी एफआईआर

इससे पहले बुधवार को भी हिंसा भड़कने के करीब 8 दिन बाद कबीर कला मंच के सदस्यों पर भड़काऊ भाषण देने और हिंसा के लिए उकसाने के आरोप में केस दर्ज किया गया है. स्थानीय कार्यकर्ता तुषार दमगड़े की शिकायत के बाद इन लोगों पर एफआईआर दर्ज किया गया था. पुणे शहर के विश्रामबाग पुलिस स्टेशन में 'शहरी माओवादी' सुधीर धावले, सागर गोरखे, हर्षाली पोटदार, रमेश गेचर, दीपक देंगले और ज्योति जगताप पर आईपीसी की धारा 153, 505 (1) (बी), 117 और 34 के मामले लगाए गए हैं.

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पुणे जिले के भीमा कोरेगांव में स्मारक देखकर लौट रहे दलितों के साथ हुई हिंसा के दो दिन बाद दलित नेता और भरीप बहुजन महासंघ अध्यक्ष प्रकाश अंबेडकर ने राज्य भर में बंद का भी आह्वान किया था. मुंबई सहित राज्य के विभिन्न स्थानों पर बंद के दौरान तोड़-फोड़ और आगजनी की घटनाएं हुई थी.

आपको बता दें कि यह समारोह, भीमा-कोरेगांव युद्ध में अंग्रेज़ों ने महाराष्ट्र के महार समाज की मदद से पेशवा की सेना को हराया था, और इस जीत का स्मारक बनवाया था. तो महार समाज इसे हर साल अपनी जीत के तौर पर मनाते हैं. कोरेगांव भीमा की लड़ाई को 200 वर्ष होने के उपलक्ष्य में 1 जनवरी 2018 को रखा गया था. जिसमें शामिल होने लाखों की संख्या में लोग आए थे. हिंसा के बाद अब पुलिस की जांच से गांववाले खासे त्रस्त हुए और एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान उन्होंने हिंसा के लिए बाहरी लोगों को जिम्मेदार बताया था.

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