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हाईकोर्ट का आदेश- सूखा पीड़ित जिलों में ट्रेन से पानी भेजे राज्य सरकार

बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि सूखे इलाकों में ट्रेन के जरिए पानी पहुंचाई जाए. राज्य के दो जिलों उस्मानाबाद और लातूर से कोई नदी नहीं गुजरती है और न ही पानी का कोई बड़ा स्रोत है.

राज्य सरकार ने प्राइवेट कंपनियों से मदद की अपील की राज्य सरकार ने प्राइवेट कंपनियों से मदद की अपील की
केशव कुमार/विद्या
  • मुंबई,
  • 01 मार्च 2016,
  • अपडेटेड 12:17 AM IST

महाराष्ट्र के सूखा पीड़ित इलाकों के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है. कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि सूखे इलाकों में ट्रेन के जरिए पानी पहुंचाई जाए. राज्य के दो जिलों उस्मानाबाद और लातूर से कोई नदी नहीं गुजरती है और न ही पानी का कोई बड़ा स्रोत है. राज्य सरकार ने इस फैसले पर कार्रवाई का भरोसा दिलाया है. सरकार ने कहा कि रेलवे के जरिए पानी टैंकर को गांवों तक पहुंचाया जा सकता है.

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बीते एक साल में बढ़ा जल संग्रहण
किसानों की आत्महत्या मामले में बने स्पेशल सेल के मुताबिक राज्य सरकार सूखा पीड़ित किसानों के लिए पहले से ही कई खास प्रोजेक्ट चला रही है. वसंतराव स्वावलंबन मिशन के नाम से औरंगाबाद, अमरावती और नागपुर जिलों में कई खास प्रोजेक्ट जारी हैं. सामाजिक कार्यकर्ता किशोर तिवारी इसकी देखरेख करते हैं. बीते एक साल में जल संग्रह क्षमता बढ़कर 6,88,596 क्यूबिक मीटर हो गई है.

उद्यान मंत्री दौरा कर बनाएंगे रिपोर्ट
उद्यान मंत्री ने कहा कि 4 मार्च के बाद वह तीन दिनों तक सूखा पीड़ित सभी जिले और तालुकों में जाकर पानी पहुंचने का स्टेटस देखेंगे. वह सीएम को इसकी रिपोर्ट भी देंगे. उन्होंने बताया कि फिलहाल 2063 टैंकर उस्मानाबाद जिले में पानी पहुंचा रहा है. जून महीने में बारिश होने तक इसपर 2684 लाख रुपये का खर्च आएगा.

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8 जिलों में पानी पहुंचाने पर लगेंगे 11 सौ करोड़ रुपये
टैंकर के जरिए राज्य के 8 जिले औरंगाबाद, परभणी, हिंगोली, नांदेड़, बीड, लातूर, जालना और उस्मानाबाद में पानी पहुंचाया जाएगा. 4357 टैंकर्स के जरिए 2909 गांवों और 464 कलस्टर्स तक पानी पहुंचाने में राज्य सरकार लगभग 11 सौ करोड़ रुपये खर्च करेगी.

सरकार की अपील पर आगे आई प्राइवेट कंपनी
राज्य सरकार ने प्राइवेट कंपनियों से आगे आकर मदद करने की अपील की है. इसके बाद एलएंडटी ने उस्मानाबाद जिले के कुछ गांवों को गोद लेकर खुदकुशी करने वाले किसानों के परिवारों को स्किल ट्रेनिंग और गांव में ही रोजगार देने की पहल की है.

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